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Exclusive Report By: Shailesh Saini

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मुख्यमंत्री ने शिपकी-ला से सीमा पर्यटन की ऐतिहासिक शुरुआत की , भारत-तिब्बत बाॅर्डर पर स्थित शिपकी ला दर्रा पर्यटकों के लिए खुला

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किन्नौर

सीमावर्ती पर्यटन के माध्यम से जनजातीय इलाकों के विकास का नया अध्याय शुरू

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज किन्नौर जिले के शिपकी-ला गांव से ‘सीमा पर्यटन’ की बहुप्रतीक्षित पहल का विधिवत शुभारंभ कर दिया है। इस नई शुरुआत के साथ हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती जनजातीय क्षेत्रों को पर्यटन मानचित्र पर एक नई पहचान मिली है। अब देशभर के पर्यटक भारत-चीन सीमा से सटे किन्नौर और लाहौल-स्पीति जैसे दुर्गम लेकिन सुरम्य इलाकों की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत को नजदीक से जान सकेंगे।

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मुख्यमंत्री के इस दो दिवसीय दौरे के दौरान की गई इस पहल ने राज्य के पर्यटन क्षेत्र में एक नई दिशा का संकेत दिया है, जो न केवल स्थानीय लोगों के लिए नए आजीविका अवसर लाएगी, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा की भावना को भी मजबूत करेगी।

किन क्षेत्रों तक खुलेंगे रास्ते

इस योजना के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे लेपचला, शिपकी-ला, ग्यू मठ, खाना दुमटी, सांगला, रानी कंडा, छितकुल तथा लाहौल-स्पीति के चयनित क्षेत्रों को अब पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। इससे न केवल स्थानीय संस्कृति और जीवनशैली को जानने का अवसर मिलेगा, बल्कि जनजातीय समुदायों के जीवन में भी नए आर्थिक अवसर जुड़ेंगे।

सरकार की पहल और रणनीति

राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री के निर्देशों पर इस विषय को केंद्र सरकार के समक्ष लगातार उठाया था। वर्षों की यह लंबी कवायद अब रंग लाई है और सीमावर्ती जनजातीय इलाकों में पर्यटन एवं समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त कर रही है। सरकार का उद्देश्य सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सतत और जिम्मेदार यात्रा सुनिश्चित करना है।

आवश्यक अनुमति और सुरक्षा प्रबंध

अब पर्यटक व स्थानीय निवासी वैध पहचान पत्र दिखाकर इन क्षेत्रों तक पहुंच सकते हैं। पहले इन क्षेत्रों में जाने के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती थी, जिसे अब सरल बनाया गया है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से आईटीबीपी और सेना द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत सुगम और सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित किया जाएगा।

एकता, रोजगार और संस्कृति की ओर एक मजबूत कदम

यह पहल न केवल पर्यटन से जुड़ी स्थानीय अवसंरचना को सुदृढ़ करेगी बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगी। इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में राष्ट्रीय एकता की भावना और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि इन इलाकों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा, लेकिन उनकी सांस्कृतिक पहचान को अक्षुण्ण रखा जाएगा।

मुख्यमंत्री का अनुभव और स्थानीय स्वागत

मुख्यमंत्री ने पूह हेलीपैड पहुंचने पर सेना, आईटीबीपी और स्थानीय महिला मंडलों द्वारा मिले आत्मीय स्वागत पर आभार जताया। उन्होंने कहा कि शिपकी ला का दर्रा, जो कभी प्रतिबंधित था, अब राज्य के लिए पर्यटन का नया अध्याय लिखने जा रहा है। हिमालय की वादियों में बहती सतलुज और बर्फीली चोटियों के बीच यह क्षेत्र रोमांच, प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।

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