ग्यास पर्व पर सूतक के चलते पुजारी रहेंगे देव स्थली से दूर
HNN / सराहां
सिरमौर जिला के सुप्रसिद्ध भुरेश्वर महादेव प्रांगण में इस बार देव कार्य नहीं हो पाएंगे। सूतक दोष के चलते पवित्र शिला पर भी देव दर्शन नहीं हो पाएंगे। कारण यह है कि पुजारियों के परिवार में 10 नवम्बर को महादेव की कृपा से संतान प्राप्त हुई है। नतीजतन देव ग्यास पर्व पर मुख्य कारदार यानी पोलिया पूजा की रस्मों को निभाएगा। मंदिर के वरिष्ठतम पुजारी 92 वर्षीय पंडित केशवानंद ने बताया कि देव परंपरा के मुताबिक परिवार में सूतक व मृत्यु हो जाने पर अपवित्रता के चलते इस तरह के शुभ कार्य नहीं किए जा सकते।
उन्होंने बताया कि यह हमारे समाज की सदियों से चली आ रही परंपरा है कि यहां मृतक या सूतक दोष में देव कार्य करना वर्जित रहता है। जब तक परिवार में हवन व अनुष्ठान के माध्यम से शुद्धिकरण नहीं हो जाता तब तक किसी भी देव कार्य में शामिल होना घोर पाप के समान है। भुरेश्वर महादेव को लेकर यह एक दिलचस्प तथ्य है कि यहां देवता की पालकी नहीं चलती बल्कि देवयात्रा में देवता अपने पताले यानी पुजारी में खेल के तौर पर मुख्य कारदारों के साथ साक्षात चलते हैं।
गिरिवार परगने के पालनहार भुरेश्वर महादेव ग्यास पर्व पर स्वयं देव स्थली पजेरली स्थित मंदिर में पहुंचकर स्वयं अपना शृंगार करते हैं ओर ढोल नगाड़ों व शहनाई के बीच देव यात्रा मुख्य मंदिर की ओर निकलती है। भुरेश्वर महादेव मंदिर में पोलिए की अहम भूमिका रहती है। संपूर्ण देव कार्य उनके बिना अधूरा माना जाता है। भगेन्जी निवासी धनवीर शर्मा यह जिम्मेवारी निभाते हैं। इससे पूर्व उनके पिता, दादा व परदादा इस पुण्य कार्य को किया करते थे। पोलिया पूरा दिन बिना कोई अन्न ग्रहण किए (व्रत) सात्विक अवस्था में रहता है।
परम्परा के मुताबिक पोलिया मुख्य पुजारी के घर से भी अन्न का एक दाना तक ग्रहण नहीं करता ओर निस्वार्थ भाव से देव कार्य करता है। भाई-बहन के प्यार की जो कथा यहां प्रसिद्ध है उन्हें पोलिए के वंशज माना जाता है। गत 6 दशकों से पंडित धनवीर शर्मा पोलिया के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कम आयु में ही अपने पिता पंडित शिव दयाल से पोलिया का कार्य सीख लिया था। उन्होंने बताया कि पुजारियों के परिवार में सूतक व मृतक हो जाने पर शुद्धिकरण तक मंदिर से जुड़े देव कार्य यह नहीं कर सकते जिस कारण देव ग्यास पर इस बार देवता नहीं आएंगे।