डॉ देवेंद्र सिंह होंगे अब बाबा इकबाल सिंह के मुख्य उत्तराधिकारी
HNN / नाहन
हिमाचल प्रदेश पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के बडू साहिब स्थित अकाल एकेडमी के संस्थापक पदमश्री बाबा इकबाल सिंह के अंतिम संस्कार के बाद उनका अस्थि कलश अकाल तख्त में बतौर यादगार रखा जाएगा। तो वही अकाल एकेडमी के महासचिव डॉ दविंदर सिंह को संस्था का उत्तराधिकारी घोषित किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जहां डॉक्टर देवेंद्र सिंह प्रमुख सेवादार होंगे, तो वही उनके साथ काका वीर जी को भी प्रमुख सेवादार की जिम्मेवारी फिर से सौंपी गई है। डॉ देवेंद्र सिंह व काका वीर जी का कहना है कि बाबा इकबाल सिंह के चले जाने के बाद एक युग का अंत हुआ है। उन्होंने बताया कि बाबा इकबाल सिंह उन्हें बड़ी जिम्मेदारियां सौंप कर गए हैं।
उनका कहना है कि बाबा इकबाल सिंह का एक ही सपना और उद्देश्य था देश का हर बच्चा शिक्षित हो। उन्होंने बताया कि बाबा इकबाल सिंह परमात्मा यानी धर्म की शिक्षा के साथ-साथ सांसारिक शिक्षा को महत्वपूर्ण मानते थे। उन्होंने बताया कि बाबा जी का अंतिम संस्कार किए जाने के बाद उनका अस्थि कलश अकाल तख्त में बतौर यादगार स्थापित किया जाएगा। काका वीर जी का कहना है की महापुरुषों की अस्थियां विसर्जित नहीं की जाती उनको यादगार स्वरूप स्थापित किया जाता है। गौरतलब हो कि पदमश्री बाबा इकबाल सिंह का जन्म 1 मई 1926 को हुआ था। बाबा इकबाल सिंह हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग में डायरेक्टर पद पर रहे।
30 जुलाई 1978 को इस पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने सेवा का मार्ग चुना। लगातार संघर्ष करते हुए 1987 में बाबा इकबाल सिंह ने बडू साहिब में मिट्टी का गुरुद्वारा बनाया था। यह वह दौर था जब बडू साहिब आने के लिए सोलन या सराहां से पैदल आना पड़ता था। मगर बाबा इकबाल सिंह जी ने यह ठान लिया था कि वह देश-प्रदेश व स्थानीय बच्चों को एक बेहतर उच्च गुणवत्ता वाली गुरुकुल शिक्षा उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने 1987 में बडू साहिब में शिक्षा के मंदिर की बुनियाद रखी। उन्हीं के प्रयासों से लगातार संघर्ष करते हुए आज अकाल एकेडमी के नाम से 129 एकेडमी स्थापित है। जबकि दो यूनिवर्सिटी कई गुरुद्वारे और अनेकों आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित अस्पताल आदि बनाए गए हैं।
बाबा इकबाल सिंह हर वर्ष विदेशी व देश के उच्च कोटि के चिकित्सकों को बुलाकर बडू साहिब में निशुल्क चिकित्सा शिविर लगाते थे। इस शिविर में लाखों रुपए की क्रिटिकल सर्जरी निशुल्क की जाती थी। बड़ी बात तो यह है कि बाबाजी बडू साहिब संस्था को चलाने के लिए बच्चों की शिक्षा को और बेहतर बनाने के लिए देश विदेश घूम कर सहयोग राशि भी इकट्ठा किया करते थे। बच्चों की चिंता में वे बडू साहिब से कब देश विदेश चले जाते थे किसी को पता भी नहीं चल पाता था। बडू साहिब अकाल एकेडमी में पढ़ने वाले बच्चों को दुनिया की बेहतर शिक्षा और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर मिले इसको लेकर उनके प्रयास हमेशा रहते थे। यहां यह भी बताना जरूरी है कि बाबा इकबाल सिंह पिछले लंबे अरसे से अस्वस्थ चल रहे थे।
25 जनवरी को उनका नाम पंजाब सरकार की ओर से पदम श्री के लिए रिक्यूमेंट किया गया था। 4 दिन पहले उन्हें पदम श्री से नवाजा गया था। मगर उनके बिगड़ती तबीयत के चलते 29 जनवरी शनिवार को दिव्य पुरुष दुनिया से रुखसत हो गए। काका वीर और देवेंद्र सिंह का कहना है कि अब बडू साहिब ट्रस्ट उन्हीं के बताए मार्ग पर आगे चलेगा। उनका हमेशा प्रयास रहेगा किट्रस्ट को और अधिक बेहतर बनाया जाए ताकि बाबा इकबाल सिंह के देखे गए सपने को वह पूरी तरह से साकार कर मूर्त रूप दे सके। डॉ देवेंद्र सिंह ने कहा कि वे सेवादार थे सेवादार ही बने रहेंगे।