लेटेस्ट हिमाचल प्रदेश न्यूज़ हेडलाइंस

प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देते हुए किसानों से खरीदे 2123 क्विंटल गेहूं , 1.31 करोड़ रुपये खातों में हस्तांतरित

Share On WhatsApp Share On Facebook Share On Twitter

प्रदेश सरकार ने ग्रामीणों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने और किसानों की आर्थिकी को मजबूत करने के उद्देश्य से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देते हुए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की हैं।

शिमला

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों का सकारात्मक असर दिख रहा है और बड़ी संख्या में किसान इस कृषि पद्धति को अपना रहे हैं। वर्तमान वित्त वर्ष में 838 किसानों से 60 रुपये प्रति किलो के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 2123 क्विंटल गेहूं खरीदा गया है। इसके बदले किसानों के बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के तहत 1.31 करोड़ रुपये की राशि जमा की गई है, जिसमें 4.15 लाख रुपये परिवहन उपदान के रूप में शामिल हैं।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: Join WhatsApp Group

हल्दी और मक्की की खरीद में भी किसानों को मिला लाभ
प्रवक्ता ने बताया कि प्राकृतिक पद्धति से उगाई गई कच्ची हल्दी के लिए सरकार 90 रुपये प्रति किलो का समर्थन मूल्य प्रदान कर रही है। इस वित्त वर्ष में छह जिलों के किसानों से 127 मीट्रिक टन हल्दी की खरीद की गई और इसके लिए किसानों को 1.14 करोड़ रुपये सीधे उनके खातों में हस्तांतरित किए गए। पिछले सीजन में 10 जिलों के 1509 किसानों से प्राकृतिक रूप से उगाई गई 399 मीट्रिक टन मक्की खरीदी गई, जिसके लिए किसानों के बैंक खातों में 1.40 करोड़ रुपये की राशि दी गई। इससे किसानों को उनके उत्पादों के बेहतर दाम सुनिश्चित हो रहे हैं। चंबा के पांगी उपमंडल को प्राकृतिक खेती उपमंडल घोषित किया गया है, जहां सितम्बर के अंतिम सप्ताह से प्राकृतिक पद्धति से उगाई गई 40 मीट्रिक टन जौ को 60 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदा जाएगा।

‘हिम भोग’ ब्रांड के तहत बिक्री और प्रशिक्षण का विस्तार
प्रवक्ता ने बताया कि प्राकृतिक उत्पादों की बिक्री ‘हिम भोग’ ब्रांड के तहत की जा रही है, जो दिन-प्रतिदिन लोकप्रिय हो रहा है। उपभोक्ता रसायनमुक्त और सुरक्षित उत्पादों की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए अब तक 3.06 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इस कृषि पद्धति के तहत प्रदेश की 3,584 ग्राम पंचायतों में 38,437 हेक्टेयर भूमि को शामिल किया गया है और वर्तमान में 2 लाख 22 हजार 893 से अधिक किसान विभिन्न फसलें उगा रहे हैं।

भविष्य के लिए लक्ष्य और न्यूनतम समर्थन मूल्य
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि वर्तमान वित्त वर्ष में 1 लाख से अधिक किसानों को इस पद्धति के अंतर्गत लाया जाए। अब तक 88 विकास खंडों के 59,068 किसानों और बागवानों ने पंजीकरण कराया है। प्राकृतिक खेती से तैयार गेहूं के लिए 60 रुपये, मक्की के लिए 40 रुपये, कच्ची हल्दी के लिए 90 रुपये और जौ के लिए 60 रुपये प्रति किलो का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है। प्रवक्ता ने कहा कि इस कदम से किसानों को बेहतर दाम मिल रहे हैं और उपभोक्ताओं को रसायनमुक्त व सुरक्षित उत्पाद उपलब्ध हो रहे हैं।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए अभी हमारे WhatsApp ग्रुप का हिस्सा बनें!

Join WhatsApp Group

आपकी राय, हमारी शक्ति!
इस खबर पर आपकी प्रतिक्रिया साझा करें


[web_stories title="false" view="grid", circle_size="20", number_of_stories= "7"]