कृपाल परमार के बाद पवन गुप्ता ने दोनों पदों से दिया इस्तीफा
HNN / नाहन
हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुए उपचुनाव की शिकस्त के बाद भाजपा में गुटबाजी वर्ष 2022 के लिए चुनौती बन गई है। यही नहीं लगातार जारी इस्तीफों की झड़ी से कहीं ना कहीं सरकार व संगठन पर दबाव बनाया जाना अब साफ नजर आने लग पड़ा है। हालांकि पवन गुप्ता सोलन जिला में भाजपा का एक बड़ा चेहरा माना जाता है। यही नहीं संगठन के प्रति पवन गुप्ता निगम के चुनाव में हार के बावजूद भी संगठन के प्रति पूरी निष्ठा से जुड़े रहे। मगर हाल ही में अर्की उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की हार के बाद कई सवाल भी खड़े हुए हैं।
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गौरतलब हो कि इस विधानसभा क्षेत्र में गोविंद राम गुट टिकट ना मिलने से काफी नाराज था। जबकि रतनपाल की कमर पर सीधे-सीधे संगठन मंत्री का भी हाथ था। जानकारी तो यह भी है कि हाईकमान के पास रतनपाल को लेकर के फीडबैक भी गया था बावजूद इसके गोविंद राम का टिकट फाइनल नहीं हो पाया था। ऐसे में कहीं ना कहीं ए और बी गुट का मौजूदा घमासान किसी बड़े कूटनीतिक खेल की ओर इशारा करता हुआ नजर आ रहा है।
बता दें कि इस गुट में वह बड़े कद्दावर चेहरे हैं जिनकी कभी सरकार व संगठन में तूती बोला करती थी। मगर सच यह भी है कि संगठन ना पहले कमजोर था ना अब कमजोर है। सरकार ना पहले कमजोर थी और ना अब कमजोर है। बावजूद इसके जिस तरीके के समीकरण बन रहे हैं या बनाए जाने की कोशिश की जा रही है वह कहीं ना कहीं भाजपा में एक बड़े बदलाव का इशारा दे रही है।
बरहाल देखना यह होगा कि अब यह तीसरा इस्तीफा कहां से और किसका होगा। गौरतलब हो कि भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष भी इसी ग्रुप से ताल्लुक रखते हैं। बरहाल भले ही इस्तीफा के दौर जारी हो मगर एक सच यह भी बड़ा है कि उत्तरांचल जैसी स्थिति फिलहाल प्रदेश में नहीं है। ऐसे में सरकार में बदलाव किया जाना कहीं ना कहीं 2022 के लिए निश्चित रूप से घातक ही साबित होगा।
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