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HNN/नाहन

नाहनः क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र धौलाकुआं में राज्य के प्रशिक्षित मधुमक्खी पालकों के लिए “मधुमक्खी पालन” पर रविवार को 7 दिवसीय विशिष्ट प्रशिक्षण का सफलतापूर्वक समापन हुआ। यह प्रशिक्षण “हनी एंड अदर बी हाइव प्रोडक्ट्स प्रोडक्शन मॉडल फॉर सस्टेनेबल हाई हिल बीकीपिंग इन हिमाचल प्रदेश” परियोजना के तहत कराया गया।


इस मौके पर डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, (सोलन) की वैज्ञानिक डॉ. मीना ठाकुर ने पीआई (प्रमुख अन्वेषक) और क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र धौलाकुआं की सह निदेशक डॉ. प्रियंका ठाकुर ने को-पीआई (सह-प्रमुख अन्वेषक) के रूप में कार्य किया। वहीं, डॉ. संजीव कुमार सान्याल (वैज्ञानिक, क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, धौलाकुआं) ने प्रशिक्षण समन्वयक के रूप में कार्य किया।


14 अक्टूबर से शुरू हुए इस प्रशिक्षण के पहले दिन डॉ. रोहित नायक ने किसानों को मधुमक्खी पालन की बुनियादी बातों और मधुमक्खी पालन के व्यावहारिक पहलुओं से अवगत कराया। दूसरे दिन उन्हें मधुमक्खियों के प्रकार, व्यवहार और रानी मधुमक्खी उत्पादन की उद्यम के रूप में समझाया गया। डॉ. प्रियंका ठाकुर और डॉ. संजीव कुमार सान्याल ने किसानों को विभिन्न ब्लॉकों का परिचनात्मक दौरा कराया गया, जहां उन्हें विभिन्न प्रकार के फलों और फूलों के पौधों के बारे में जानकारी दी गई।


तीसरे दिन किसानों को एक्सपोजर विजिट और वैज्ञानिकों के व्याख्यान के लिए नौणी विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग ले जाया गया, जहां उन्हें विशेषज्ञों (डॉ. मीना ठाकुर, डॉ. किरण राणा और डॉ. वीजीएस चंदेल ने बीमारियों की जानकारी, विभिन्न मौसमों में मधुमक्खियों के प्रबंधन और उसके व्यावहारिक पहलुओं से परिचित कराया।


चौथे दिन अनुसंधान केंद्र धौलाकुआं में डॉ. थानेश्वरी (बागवानी अधिकारी, आईआईएम सिरमौर) ने किसानों को विभिन्न प्रकार के फलों और फूलों के बारे में बताया, जो मधुमक्खी वनस्पति के रूप में कार्य करते हैं। इसके बाद किसानों को स्थानीय मधुमक्षिका पालनगृह केंद्र का परिचयात्मक दौरा करवाया गया।


पांचवें दिन किसानों को आईडीबीसी रामनगर (हरियाणा) का एक्सपोजर विजिट कराया गया, जहां डॉ. अमित यादव ने उन्हें शहद उत्पादन, भंडारण, शुद्धिकरण आदि के विभिन्न प्रबंधन पहलुओं के बारे में बताया। छठे दिन डॉ. राजकुमार ठाकुर (प्रधान वैज्ञानिक, सेवानिवृत्त) ने मधुमक्खी पालन उपकरणों, परागण पारिस्थितिकी और संरक्षण पहलुओं के बारे में बताया।जिला आयुर्वेद अधिकारी सिरमौर डॉ. राजन ने शहद और स्वास्थ्य पहलुओं में इसके उपयोग की जानकारी दी। डॉ. संजीव कुमार सान्याल ने मधुमक्खियों और बीफलोरा की सुरक्षा के लिए विभिन्न उपायों के बारे में बताया और बीफलोरा के प्रसार के लिए विधियों के बारे में भी बताया।


प्रशिक्षण के अंतिम दिन किसानों को मधुमक्खी पालन में प्राकृतिक खेती के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया और साथ ही किसान वैज्ञानिक संगोष्ठी भी की गई। इस दौरान किसानों को मधुमक्खी पालन किटें और भागीदारी प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।


क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र धौलाकुआं की सह निदेशक डॉ. प्रियंका ठाकुर और वैज्ञानिक डा. संजीव सान्याल ने सभी किसानों और विशेषज्ञों का इस प्रशिक्षण शिविर के सफल आयोजन एवं समापन के लिए आभार जताया। उन्होंने बताया कि धौलाकुओं के वैज्ञानिक सिरमौर समेत हिमाचल प्रदेश के अन्य जिलों के 125 किसानों के लिए पांच (तीन बुनियादी और दो विशिष्ट प्रशिक्षण सफलतापूर्वक आयोजित कर चुका है।

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