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जोगेंद्र हाब्बी का नाम एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज होने पर मेलाराम शर्मा ने दी बधाई

Ankita | 14 मई 2023 at 3:22 pm

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जोगेंद्र हाब्बी ने लोकनृत्य प्रतिस्पर्धा में इंडिया व एशिया बुक में नाम दर्ज कर बनाए दो रिकॉर्ड

HNN/ संगड़ाह

पंचायत समिति संगड़ाह निवर्तमान अध्यक्ष एवं सूचना जनसंपर्क विभाग के सेवानिवृत्त उपनिदेशक मेलाराम शर्मा ने सिरमौर जिला के प्रसिद्ध लोक कलाकार एवं चूड़ेश्वर लोकनृत्य सांस्कृतिक मंडल जालग राजगढ़ के प्रबंध निदेशक जोगिंदर हाब्बी को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज होने पर बधाई दी है।

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अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोक कलाकार जोगेंद्र हाब्बी का नाम निदेशालय भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा जिला सिरमौर में प्रतिवर्ष आयोजित की जा रही लोकनृत्य प्रतियोगिता में लगातार दस बार प्रथम स्थान प्राप्त करने के कारण इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स तथा एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल हुआ है।

मेलाराम शर्मा ने बताया कि उपरोक्त दोनों रिकॉर्ड्स हाब्बी ने लगातार एक ही विभाग द्वारा एक ही व्यक्ति के नेतृत्व एवं निर्देशन में लोक नृत्य प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए बनाए। उन्होंने कहा की इससे सिरमौर के सुपुत्र जोगिंदर हाब्बी ने ना केवल सिरमौर जिला अपितु हिमाचल प्रदेश का नाम गौरवान्वित किया है।

उन्होंने बताया कि कुछ समय पूर्व ही हाब्बी का इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज हुआ था और अब एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी नाम दर्ज हुआ है जिससे जिला सिरमौर की लोक संस्कृति का विश्व स्तर पर पहचान व मान बढ़ा है।

मेलाराम शर्मा ने बताया कि चूड़ेश्वर लोकनृत्य सांस्कृतिक मंडल के मुखिया जोगिंदर हावी ने अपने दल के कार्यक्रम अनेक राष्ट्रों में करवा कर सिरमौर की समृद्ध संस्कृति को विश्व भर में उजागर किया है और अपनी समृद्ध लोक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन में सराहनीय कार्य किया है।

जब इस बारे में जोगिंदर हाब्बी से बात की तो उन्होंने इन दोनों रिकॉर्ड्स का श्रेय अपने गुरु पद्मश्री विद्यानंद सरैक व सहयोगी कलाकारों को दिया और आसरा तथा चूड़ेश्वर मंडल के सभी कलाकारों का विशेष आभार व्यक्त किया जिन्होंने अनुकरण कर लगातार मेहनत के परिणाम स्वरूप प्रथम पुरस्कार को अब तक लगातार बरकरार रखा है।

हाब्बी ने बताया कि दस-बारह वर्षों से आयोजित की जा रही इन प्रतियोगिताओं में लगभग साठ से अधिक लोक कलाकारों ने हाब्बी के नेतृत्व में लोक नृत्य प्रतिस्पर्धा में भाग लिया जिसमें उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित सुप्रसिद्ध लोक कलाकार गोपाल हाब्बी, प्रदेश के जाने-माने लोक गायक धर्मपाल चौहान व रामलाल वर्मा और सरोज ने दस बार भाग लेकर लगातार प्रथम स्थान बरकरार रखने में भरपूर सहयोग दिया।

इसके अलावा बलदेव, अमीचंद, चमन, संदीप, अनुजा, सीमा, रीना, सुनपति, लक्ष्मी, प्रिया, सरस्वती, जितेंद्र, हंसराज, चिरंजीलाल, सोहनलाल, चेतराम, कृष्ण लाल, मुकेश, देवीराम, अनिल, रमेश, सुनील, बिमला चोहान, पायल, आदि कलाकारों ने भी कई बार इन प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेकर दल को प्रथम स्थान प्राप्त करने में पूर्ण सहयोग दिया है।

हाब्बी ने कहा कि हमारा दल सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में जिला सिरमौर का आदिकालीन ठोडा नृत्य, ढीली नाटी, रिहाल्टी गी, दीपक नृत्य, परात नृत्य, सिरमौरी मुंजरा, रासा व हुड़ग नृत्य, झुरी, सिंहटू तथा भड़ाल्टू नृत्य आदि लोक विधाओं को कोरियोग्राफ कर तथा समय सीमा में बांधकर एक गुलदस्ते के रूप में सिरमौरी हाटी जनजातीय संस्कृति के वास्तविक स्वरूप को प्रस्तुत करता आया है।

हाब्बी दल का नेतृत्व एवं निर्देशन करते हुए स्वयं भी मुख्य लोक नर्तक के रूप में सांस्कृतिक दल की अगुवाई करते आए हैं। उन्होंने बताया कि निसंदेह जिला सिरमौर की संस्कृति में एक कशिश व आकर्षण है तथा पद्मश्री विद्यानंद सरैक द्वारा गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत सिखाई गई लोकनृत्य विधाओं को प्रदर्शित कलाकारों ने अपने हुनर व फन से लगातार दस बार जिला स्तर पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया है।

इसके अलावा इन्हीं लोक कलाकारों के दल ने विभिन्न विभागों व संस्थानों द्वारा आयोजित लोकनृत्य प्रतिस्पर्धाओं में आठ बार राज्य स्तर पर एक बार राष्ट्रीय स्तर पर तथा एक बार अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी जीत हासिल कर सिरमौरी संस्कृति का लोहा मनवाया है।

जोगेंद्र हाब्बी ने सभी कलाकारों की ओर से निदेशक भाषा एवं संस्कृति विभाग और जिला भाषा अधिकारी का इस प्रकार की लोक नृत्य प्रतियोगिताएं आयोजित कर कलाकारों को अपना हुनर दिखाने का अवसर प्रदान करने के लिए तथा प्रतिस्पर्धाओं के निर्णायक मंडल के सभी सदस्यों का निष्पक्ष एवं निर्विवाद निर्णय के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करते कहा कि हम सदैव इसी प्रकार हिमाचल व सिरमौर जनपद की समृद्ध संस्कृति को विश्व स्तर पर और अधिक पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत रहेंगे।

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