HNN/ श्रीरेणुकाजी
नाहन-हरिपुरधार मार्ग पर श्रीरेणुकाजी बांध जन संघर्ष समिति के सदस्यों ने बांध कार्यालय के समीप शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया। उसके बाद श्रीरेणुकाजी बांध परियोजना के महाप्रबंधक को मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। महाप्रबंधक को सौंपे ज्ञापन में जन संघर्ष समिति ने मांग की है कि बांध निर्माण के उपरांत श्रीरेणुकाजी-संगड़ाह-हरिपुरधार मार्ग की दूरी बढ़ जाएगी। जिसका खामियाजा जिला की हजारों जनता को भुगतना होगा। इसलिए इस दूरी को कम करने के लिए मोहतू एवं चमयाणा गांव के बीच प्रस्तावित पुल का निर्माण कार्य शीघ्र करवाया जाए।
समिति के सदस्यों ने कहा कि बांध प्रबंधन द्वारा एनजीटी को दिए गए हलफनामे में इसे फोटो ब्रिज बनाने की बात कही गई है। जबकि इसे फुटब्रिज ना बनाकर बस योग्य बनाया जाए। ताकि हजारों लोगों को इसका लाभ मिल सके। पुनर्वास एवं पूर्ण स्थापन योजना के अनुसार गृह विहीन परिवारों को लोक निर्माण विभाग द्वारा उस समय के आंकलित अनुदान राशि प्रदान की जाएगी तथा विस्थापित होने वाले परिवारों को आर एंड आर प्लान के अनुसार 250 वर्ग मीटर प्लॉट के लिए दी जाने वाली राशि लोक निर्माण विभाग की दरों के अनुसार मकान के कुल आंकलित मूल्य का 50 प्रतिशत मुआवजा अलग से दिया जाए।
जो लोग डूब क्षेत्र में अपनी अजीवीका चला रहे हैं। उन्हें पूर्ण विस्थापित का दर्जा दिया जाए, पूर्ण रूप से विस्थापित होने वाले एक परिवार के एक सदस्य को प्राथमिकता के आधार पर सरकारी नौकरी प्रदान की जाए। शिक्षा एवं क्षेत्र के विकास पर पड़ने वाले प्रभाव का भी उल्लेख किया जाए। बांध निर्माण कार्य शुरू होने से पूर्व प्रत्येक विस्थापित परिवार को पुनः स्थापित किया जाए। इस क्षेत्र के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है, बांध प्रबंधन द्वारा जिसका कहीं भी जिक्र नहीं किया गया है।
बांध निर्माण कार्य पूर्ण होने से पहले सभी विस्थापित परिवारों को कृषि योग्य 5 बीघा भूमि प्रदान की जाए। यदि कोई व्यक्ति भूमि नहीं लेना चाहता, तो उसे उसका मूल्य प्रदान किया जाए। उन लोगों को पूर्ण विस्थापित का दर्जा दिया जाए जिन लोगों की कृषि योग्य भूमि जलमग्न होगी। जो लोग दूसरों की जमीन पर काश्तकारी या वन भूमि पर वर्षों से रह रहे हैं, उन्हें भी पूर्ण विस्थापित का दर्जा प्रदान किया जाए। प्रत्येक प्रभावित परिवार को मुख्य परियोजना प्रभावित का कार्ड प्रदान किया जाए। पैरा 55 की कॉपी प्रत्येक परिवार को शीघ्र प्रदान की जाए।
ताकि उसे पता चले कि उनकी जमीन में हुए पेड़, मकान व भूमि की किस्म व अन्य चीजों का कितना मुआवजा मिला है। डूब क्षेत्र में स्थित कृषि कर रहे विस्थापित परिवारों को जलभराव के उपरांत जलस्तर कम होने पर उस भूमि पर कृषि करने का अधिकार दिया जाए। डूब क्षेत्र में रह रहे विस्थापित परिवारों को विद्युत उत्पादन में उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए। विस्थापितों के पुनर्वास के लिए प्रदेश सरकार ने अभी तक जिला सिरमौर में कहीं भी भूमि का चयन नहीं किया है। जन संघर्ष समिति मांग करती है कि उन्हें किसी उपमंडल स्तर के मुख्यालय के समीप कॉलोनी बनाकर बसाया जाए। बांध प्रबंधन द्वारा मांग की गई कि जो भूमि विस्थापितों के लिए देखी गई है, वह उसे निरस्त करती है तथा इसकी सतर्कता विभाग से जांच की जानी चाहिए।