ग्यास पर्व पर भुरेश्वर महादेव मंदिर में होंगे सभी देव कार्य, पूरी होंगी देव परंपरा की रस्में

HNN / सराहाँ

सिरमौर जिला के उपमंडल पच्छाद के क्वागधार की शिवालिक पहाड़ी पर विराजमान सुप्रसिद्ध भुरेश्वर महादेव मन्दिर प्रांगण में सभी देव परम्पराओं और देव कार्यों को विधि विधान से पूर्ण किया जाएगा। यह बात रविवार को मंदिर कमेटी अध्यक्ष मदन मोहन अत्री ने जानकारी देते हुए बताई। उन्होंने साफ तौर पर इस बात का खंडन किया कि सूतक दोष के चलते मंदिर मे देव कार्य नहीं हो पाएंगे। अत्री ने कहा कि हर वर्ष ग्यास पर्व पर यहाँ देव कार्य होते हैं और क्षेत्र के साथ साथ यह बाहरी क्षेत्र से भी सैंकड़ो श्रद्धालु देव कार्य के लिए आते हैं। यह सही है कि एक पुजारी ( पताला) के घर पुत्र रत्तन प्राप्ति हुई है जिससे उनके घर पर सूतक है।

लेकिन यह भी बात है कि यहां दो पुजारी( पताले) हैं जो कि देव कार्य करते हैं। इसलिए यहां देव कार्य ने कोई बाधा नही है । उन्होंने बताया कि पुरानी देव परंपरा के अनुसार यदि पुजारी के घर पर सूतक या मितक हो जाये तो इस वक्त कथाड़े व पनाले दोनो हो गांव से दो दो लोग यदि पुजारी को देव कार्य हेतु निमंत्रण देते हैं तो वह पुजारी देव कार्य कर सकता है। वैसे भी देव कार्य ने दो पताले आते हैं जिनमे एक देई व दूसरा देवता का पताला है। उन्होंने कहा कि देव कार्य को लेकर पुजारी द्वारा गलत सूचना मीडिया को दी गयी जिसका वह खंडन करते हैं।

उन्होंने कहा कि इस बार श्रद्धालुओं को निराश नही होना पड़ेगा क्योंकि मंदिर में दूसरे पुजारी द्वारा सभी देव कार्य व परंपरा को पूर्ण किया जाएगा। बता दें कि मंदिर के भुरेश्वर महादेव को लेकर यह एक दिलचस्प तथ्य है कि यहां देवता की पालकी नहीं चलती बल्कि देवयात्रा में देवता अपने पताले यानी पुजारी में खेल के तौर पर मुख्य कारदारों के साथ साक्षात चलते हैं। गिरिवार परगने के पालनहार भुरेश्वर महादेव ग्यास पर्व पर स्वयं देव स्थली पजेरली स्थित मंदिर में पहुंचकर स्वयं अपना श्रृंगार करते हैं ओर ढोल नगाड़ों व शहनाई के बीच देव यात्रा मुख्य मंदिर भुरेश्वर की और निकलती है।

भुरेश्वर महादेव मंदिर में पोलिए की अहम भूमिका रहती है। संपूर्ण देव कार्य उनके बिना अधूरा माना जाता है। भगेन्जी निवासी धनवीर शर्मा यह जिम्मेवारी निभाते हैं। वहीं माता देई की पंडित मनोज शर्मा व देवता की हवा पंडित वेदमित्र शर्मा में आती है। दोनो ही पुजारी ( पताले) व पोलिया यहां देव कार्य करते हैं। भाई-बहन के प्यार की जो कथा यहा प्रसिद्ध है उन्हें पोलिए के वंशज माना जाता है जो कि पनाल यानी पानवां गांव से हैं वहीं इनके मामा कथाडे हैं जो गांव कथाड से आते हैं। इन्ही का देव कार्य व परंपरा में अहम स्थान सदियों से आता रहा।


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