16 या 17 जून तक जयराम सरकार को केंद्र से मिल सकता है बल्क ड्रग पार्क
HNN / नाहन
हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार को बहुत जल्द बल्क ड्रग पार्क मिल सकता है। केंद्रीय सूत्रों के अनुसार 16-17 जून तक केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय प्रदेश के लिए एपीआई हेतु सैद्धांतिक मंजूरी दे सकता है। अब यदि प्रदेश को बल्क ड्रग पार्क मिल जाता है तो एपीआई उद्योग में यह बड़ी क्रांति मानी जाएगी। हालांकि एपीआई में इन्वेस्ट करने वाले उद्योगपतियों को हाल ही में पीएम के प्रदेश दौरे पर बड़ी उम्मीदें थी मगर ऐसा हुआ नहीं। जानकारी तो यह भी है कि करीब 50 के लगभग ऐसे बड़े उद्योगपति हैं जो प्रदेश में दवा का रॉ मैटेरियल बनाने के लिए उद्योग स्थापित करने हेतु इंटरेस्टेड है।
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बता दें कि देश के कई राज्यों ने बल्क ड्रग पार्क हेतु निवेदन दिए थे। जिनमें प्रदेश के उद्योगपति विक्रम ठाकुर के द्वारा एक बेहतरीन प्रोजेक्ट रिपोर्ट केंद्रीय मंत्रालय को भेजी थी। जिसके बाद संचालन समिति के द्वारा प्रदेश हेतु ड्रग पार्क के लिए सैद्धांतिक अनुमोदन दिया गया था। प्रदेश में ड्रग पार्क के लिए ऊना जिला में जमीन भी तलाशी ली गई है। अब यदि प्रदेश को बल्क ड्रग पार्क मिलता है तो दवा निर्माण में रॉ मैटेरियल पर ना केवल प्रदेश बल्कि देश की आत्मनिर्भरता भी मजबूत होगी। गौरतलब हो कि मौजूदा समय 10 ऐसे रॉ मैटेरियल साल्ट हैं जिन्हें चाइना से मंगवाया जाता है।
देश में एपीआई बनाने वाले प्रमुख राज्यों में हैदराबाद मुंबई आदि शामिल है। जबकि प्रदेश में 20 के लगभग एपीआई उद्योग है। बल्क ड्रग पार्क बनने के बाद प्रदेश के हजारों युवकों को ना केवल रोजगार मिलेगा बल्कि प्रदेश के अन्य दवा उद्योगों में बनाई जाने वाली दवाएं काफी सस्ती हो जाएंगी। बता दें कि हिमाचल प्रदेश रॉ एपीआई में कंजूमर स्टेट है। जाहिर सी बात है प्रदेश में यदि बल्क ड्रग पार्क में एपीआई बनेगा तो इसकी खपत भी प्रदेश में ही होगी। जानकारी तो यह भी है कि यदि बल्क ड्रग पार्क को ग्रीन सिग्नल हो जाता है तो 50 के लगभग इंडस्ट्रियों का यहां आना तय माना जाएगा।
बता दें कि रॉ मैटेरियल बनाने वाले उद्योगपतियों को उद्योग स्थापित करने के लिए पर्यावरण मंजूरी भी लेनी होगी। अच्छी बात तो यह है कि एपीआई के लिए पर्यावरण मंजूरी हेतु राज्य सरकार मान्यता प्राप्त एजेंसी भी नियुक्त करेगी। उधर उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर से संपर्क करने की कोशिश की गई मगर आज कैबिनेट होने के चलते बात नही हो पाई। उधर, राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मरवाह का कहना है कि प्रदेश में फिलहाल 20 के लगभग ऐसे उद्योग हैं जो एपीआई में काम कर रहे हैं।
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