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आज भी मनेगी दिवाली जानिए लक्ष्मी पूजन और शुभ मुहूर्त

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1 नवंबर, 2024 at 10:39 am

दिवाली पर मां लक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद के तीन मुहर्त में किया जाता है। आज यानी 01 नवंबर, शुक्रवार को कार्तिक माह की अमावस्या है। दरअसल इस वर्ष कार्तिक अमावस्या दो दिन है, जिसके कारण 31 अक्तूबर को भी कार्तिक अमावस्या थी और आज भी है। कार्तिक अमावस्या पर मां लक्ष्मी जी की पूजा होती है और दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। तभी से हर साल कार्तिक अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल में दिवाली पर लक्ष्मी पूजन की परंपरा चली आ रही है।

दिवाली पर महालक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। दिवाली पर धन और सुख-समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के साथ भगवान गणेश, कुबेर देवता और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा करने विधान होता है।

दिवाली पर मां लक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद के तीन मुहर्त में किया जाता है। दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा अमावस्या तिथि में प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में करना सर्वोत्तम माना गया है। इसके अलावा दिवाली पर तांत्रिक और साधकों के लिए मां लक्ष्मी की पूजा महानिशीथ काल में करना ज्यादा उपयुक्त माना गया है।

लक्ष्मी पूजा संपूर्ण पूजा विधि

  •  वैसे तो दिवाली से काफी दिनों पहले घरों की साफ-सफाई होती है, लेकिन दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन से पहले एक बार फिर से साफ-सफाई करें। घर के वातावरण को शुद्ध और पवित्र करने के लिए घर के हर कोनों में गंगाजल का छिड़काव करें। 
  •  इसके बाद घर के मुख्य दरवाजे पर रंगोली और तोरण द्वार बनाएं। वहीं दरवाजे के दोनों हिस्सों में स्वास्तिक और शुभ-लाभ की आकृतियां बनाएं। 
  • शाम के समय लक्ष्मी जी की पूजा के लिए सबसे पहले पूर्व दिशा या फिर ईशान कोण में एक चौकी रखें।फिर इस चौकी पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं।
  •  इसके बाद चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति को विराजित करें और दाहिन तरफ मां लक्ष्मी की मूर्ति को रखें। साथ ही जल से भरा कलश भी रखें। 
  •  फिर सभी पूजन सामग्री को साथ में लेकर आसान पर बैठें और चारो तरफ गंगाजल का छिड़काव करते हुए पूजा का संकल्प लेते हुए पूजा आरंभ कर दें। 
  •  सबसे पहले गणेश स्तुति और वंदना करते हुए गणेश की पुष्य, अक्षत, गंध, फल और भोग अर्पित हुए तिलक लगाएं। 
  •  भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हुए मां लक्ष्मी को सिंदूर अर्पित करते हुए सभी तरह की पूजन सामग्री भेंट करें।
  • फिर भगवान गणेश,माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के बाद विधि-विधान के साथ कुबेर देव और मां सरस्वती की पूजा करें।
  •  इसके बाद परिवार सभी लोग महालक्ष्मी की आरती, मंत्रों का जाप और स्तुति पाठ करें। 
  • आरती और मंत्रों का जाप के बाद दीपक जलाएं और घर के हर एक हिस्से में रखें। 
  • महालक्ष्मी पूजन के बाद तिजोरी और बहीखाते की पूजा करें।
  • इसके अलावा दिवाली पर पूर्वजों को याद करते हुए उनकी पूजा-अर्चना, धूप और भोग अर्पित करें। 

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