प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए नाहन मेडिकल कॉलेज के एचओडी को विजिलेंस ने किया था गिरफ्तार
HNN / नाहन
बीते 5 जनवरी को नाहन मेडिकल कॉलेज के एचओडी डॉ. गिरीश शर्मा को ड्यूटी के दौरान सोलन में प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए विजिलेंस के द्वारा गिरफ्तार किया गया था। रंगे हाथ प्राइवेट प्रैक्टिस करते गिरफ्तार किए गए डॉक्टर पर मेडिकल कॉलेज नाहन फिर से मेहरबान होता हुआ नजर आ रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि आपराधिक मामला दर्ज होने के बावजूद एचओडी की अभी तक ना तो प्राथमिक जांच की गई है और ना ही शिकायत को लेकर डिपार्टमेंटल इंक्वायरी हुई है। हैरानी तो इस बात की भी है कि विभाग के द्वारा अभी तक फैक्ट फाइंडिंग भी नहीं की गई है। बावजूद इसके एचओडी को फिर से सीट पर बिठाये जाने की तैयारियां हो रही है।
ऐसे में स्टेट विजिलेंस द्वारा की जा रही जांच में ट्रैपरिंग किए जाने का खतरा भी पैदा हो गया है। अब यदि बात की जाए सर्विस रूल की तो यहां भी विभाग के द्वारा सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एचओडी सर्विस रूल के अनुसार ना तो फर्स्ट ऑन कॉल ड्यूटी और ना ही सेकंड कॉल ऑन ड्यूटी सेवाएं देते थे। सूत्रों ने यह भी बताया है कि डॉ गिरीश शर्मा सप्ताह में दो बार सोलन के एक निजी अस्पताल में अपनी सेवाएं देने जाया करते थे। इससे पहले भी शिमला में ड्यूटी के दौरान प्राइवेट प्रैक्टिस करने के उन पर आरोप लगाए गए थे।
डॉक्टर के खिलाफ बार-बार प्राइवेट प्रैक्टिस की शिकायतें मिलने के बाद विजिलेंस के द्वारा ट्रैप लगाकर सोलन और सिरमौर में छापेमारी की गई थी। जिसमें डॉ गिरीश शर्मा निजी अस्पताल में प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए पाए गए थे। यहां बताना यह भी जरूरी है कि सर्विस रूल के अनुसार जब किसी सरकारी मुलाजिम पर एफ आई आर अथवा गिरफ्तारी होती है तो उन्हें अपने सुपीरियर को इन्फॉर्म करना होता है। यही नहीं विभाग के द्वारा सु-मोटो लेते हुए विभागीय जांच बिठाई जाती है। जिसमें प्राथमिक जांच के साथ-साथ फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट दी जाती है, जिसमें डिपार्टमेंटल इंक्वायरी रूल 14 के अनुसार कार्यवाही की जाती है। अब यदि डिपार्टमेंटल इंक्वायरी में आरोप सिद्ध होते हैं, तो इंक्रीमेंट प्रमोशन यहां तक की सर्विस से भी टर्मिनेट किया जा सकता है।
मगर यहां तो संबंधित चिकित्सक के खिलाफ गंभीर आरोपों के तहत विजिलेंस द्वारा गिरफ्तार भी किया गया था। माना जा रहा है कि यह देश का पहला ऐसा मामला था जिसमें एक एचओडी प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार हुआ था। बावजूद इसके जबकि विभाग डॉक्टर की वजह से पूरे प्रदेश में देश में मीडिया की सुर्खियां भी बना था। बावजूद इसके जहां विभाग को डिपार्टमेंटल इंक्वायरी दिखाई जानी चाहिए थी उसकी जगह डॉक्टर को फिर से सीट पर बिठाए जाने की तैयारियां हो रही है। नियमानुसार जब तक विजिलेंस इंक्वायरी के साथ-साथ डिपार्टमेंटल इंक्वायरी पूरी नहीं हो जाती तब तक चिकित्सक को उसकी सीट पर नहीं बिठाया जा सकता। इससे जांच पर असर भी पड़ सकता है तो साथ में भ्रष्टाचार को संरक्षण भी मिलता है।
उधर, प्रिंसिपल नाहन मेडिकल कॉलेज डॉक्टर आरके महिंद्रू का कहना है कि डिपार्टमेंटल इंक्वायरी पूरी हो चुकी है। उनका यह भी कहना है कि एचओडी अपने डिपार्टमेंट का प्रमुख होता है वह अपना ड्यूटी रोस्टर खुद बना सकता है। वही सेक्रेट्री हेल्थ अमिताभ अवस्थी का कहना है कि मामले को लेकर विभाग पूरी तरह गंभीर है। उन्होंने कहा कि जब तक इंक्वायरी पूरी नहीं हो जाती डॉक्टर को रीइंस्टेट नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि वे इस मामले की गंभीरता से जांच भी करवाएंगे।