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हिमाचल: 20 करोड़ रुपये के फर्जी लोन घोटाले में विजिलेंस ने जांच की तेज, रिकॉर्ड कब्जे में लिया

हिमाचलनाउ डेस्क | 11 जनवरी 2025 at 1:42 pm

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मामले का खुलासा और विजिलेंस की कार्रवाई

ऊना जिले में 20 करोड़ रुपये के फर्जी लोन और धोखाधड़ी के मामले में विजिलेंस ब्यूरो ने अपनी जांच तेज कर दी है। शुक्रवार को विजिलेंस टीम ने कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक (केसीसीबी) का रिकॉर्ड कब्जे में लिया और सोमवार को अतिरिक्त रिकॉर्ड विजिलेंस कार्यालय में जमा कराने के निर्देश दिए हैं। यह लोन एक व्यक्ति द्वारा बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी तरीके से लिया गया बताया जा रहा है।


जांच का नेतृत्व और बैठकें

मामले की जांच की जिम्मेदारी विजिलेंस एसपी वीरेंद्र कालिया को सौंपी गई है। आईजी विजिलेंस विमल गुप्ता ने शुक्रवार को मामले की समीक्षा के लिए वीरेंद्र कालिया और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में घोटाले की गहराई और जांच के आगे के कदमों पर चर्चा की गई।


आरोपियों और संदिग्धों पर ध्यान

आरोप है कि इस फर्जीवाड़े में मैसर्स होटल लेक पैलेस और मैसर्स हिमालय स्नो विलेज के मालिक युद्ध चंद बैंस ने बैंक के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर लोन लिया। इसके अलावा, बैंक अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने न केवल अपनी ऋण नीतियों की अनदेखी की, बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के दिशा-निर्देशों का भी उल्लंघन किया।

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पूछताछ की तैयारी और संभावित राजनीतिक कनेक्शन

विजिलेंस अब बैंक अधिकारियों, कर्मचारियों और होटल मालिक युद्ध चंद बैंस को पूछताछ के लिए बुलाने की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि जांच के दायरे में कई नेताओं के नाम भी आ सकते हैं, जो इस धोखाधड़ी से जुड़े हो सकते हैं।


पिछली जांच और वर्तमान स्थिति

इस मामले में पहले भी दो बार जांच हो चुकी है, लेकिन अब विजिलेंस ब्यूरो इसे गंभीरता से ले रहा है। प्रदेश सरकार के सचिव (सहकारिता) से प्राप्त शिकायत और राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसवी एंड एसीबी) की जांच के आधार पर विजिलेंस ने केस दर्ज किया है।


फर्जीवाड़े के तरीके और जांच का लक्ष्य

मामले में यह स्पष्ट करने की कोशिश हो रही है कि इस धोखाधड़ी को कैसे अंजाम दिया गया और इसमें कितने लोग शामिल हैं। विजिलेंस टीम इस मामले के हर पहलू को ध्यान में रखते हुए जांच कर रही है।


निष्कर्ष

विजिलेंस की जांच से यह उम्मीद की जा रही है कि इस घोटाले में शामिल सभी व्यक्तियों और उनके सहयोगियों को बेनकाब किया जाएगा। यह मामला हिमाचल में सरकारी बैंकिंग प्रणाली की पारदर्शिता और सख्त निगरानी की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।


यह समाचार प्रदेश में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसकी विस्तृत रिपोर्ट विजिलेंस द्वारा आने वाले दिनों में सामने लाई जाएगी।

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