शिमला: हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपी रजनीश बंसल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी कर दिया गया है। विशेष न्यायाधीश दविंदर कुमार की अदालत ने कहा कि यह मामला ओपन-एंडेड एनबीडब्ल्यू जारी करने के लिए उपयुक्त है।
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क्या है पूरा मामला?
- रजनीश बंसल, कालाअंब स्थित हिमालयन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस (एचजीपीआई) के प्रबंध निदेशक हैं।
- उन पर करोड़ों रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले में धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का आरोप है।
- सीबीआई ने 7 मई, 2019 को रजनीश बंसल और अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
- 8 अप्रैल 2024 को रजनीश को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी।
ईडी की कार्रवाई और कोर्ट का आदेश
- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रजनीश बंसल से पूछताछ के लिए पांच समन जारी किए थे, लेकिन वह 6 फरवरी 2025 को भी पेश नहीं हुए।
- 29 जनवरी 2025 को ईडी ने पंचकूला स्थित उनके घर पर छापेमारी की थी, जहां से उनके भाई को गिरफ्तार किया गया था।
- रजनीश की अंतरिम जमानत याचिका पहले ही अदालत द्वारा खारिज की जा चुकी है।
- इसके बाद ईडी ने अदालत में पीएमएलए, 2002 की धारा 4 के तहत गैर-जमानती वारंट जारी करने की अपील की।
- अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए ओपन-एंडेड एनबीडब्ल्यू जारी करने का आदेश दिया।
अब क्या होगा?
- गैर-जमानती वारंट के बाद, ईडी रजनीश बंसल की गिरफ्तारी के प्रयासों में जुट गई है।
- ओपन-एंडेड वारंट का मतलब है कि आरोपी की गिरफ्तारी के लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं होगी।
घोटाले की पृष्ठभूमि
- यह घोटाला वर्ष 2014-15 का है, जिसमें करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति में गड़बड़ी की गई थी।
- 16 नवंबर 2018 को छोटा शिमला पुलिस स्टेशन में रजनीश बंसल समेत अन्य के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था।
- 7 मई 2019 को मामला सीबीआई को सौंप दिया गया।
- 19 जुलाई 2019 से ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच शुरू की थी।
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