हिमाचल प्रदेश में छात्रों की घटती संख्या के चलते कई कॉलेजों पर बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। राज्य के छह कॉलेजों में 50 से भी कम और 12 कॉलेजों में 100 से कम विद्यार्थी हैं। सरकार के निर्देशों के बाद उच्च शिक्षा निदेशालय ने इन कॉलेजों को बंद करने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है।
अब इस पर अंतिम फैसला राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया जाएगा। इसके अलावा, 150 विद्यार्थियों की संख्या वाले 11 कॉलेजों के भविष्य पर भी विचार किया जा रहा है। यदि यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो इन कॉलेजों को बंद कर दिया जाएगा और छात्रों को नजदीकी संस्थानों में शिफ्ट किया जाएगा।
छात्रों की घटती संख्या बनी कारण
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, राजधानी शिमला और मुख्यालयों के कॉलेजों में दाखिले बेहतर हो रहे हैं, लेकिन दूरदराज़ के इलाकों में स्थित कॉलेजों में लगातार छात्रों की संख्या घट रही है। ऐसे में सरकार ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए कम छात्रों वाले कॉलेजों को बंद करने का निर्णय लिया है।
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कौन-कौन से कॉलेज हो सकते हैं बंद?
50 से कम विद्यार्थियों वाले कॉलेज:
- भलेई – 49
- कुपवी – 43
- कुकुमसेरी – 38
- टिक्कर – 15
- टौणी देवी – 0
- गलोड – 0
51 से 100 विद्यार्थियों वाले कॉलेज:
- शिवनगर – 97
- चिंतपूर्णी – 96
- रोनहाट – 95
- हरीपुर गुलेर – 90
- रामशहर – 88
- कोटली – 85
- पझोता – 82
- ननखड़ी – 81
- सुग भटोली – 79
- थाची – 74
- संधोल – 67
- जयनगर – 67
101 से 150 विद्यार्थियों वाले कॉलेज:
- श्री नयनादेवी – 150
- रिवालसर – 147
- लिलकोठी – 146
- रे – 143
- डैहर – 135
- सुबाथू – 133
- चैलकोटी – 132
- कुमारसेन – 131
- देहरा – 127
- गाडागुसैन – 125
- रक्कड़ – 121
पहले भी हो चुकी है कॉलेजों की बंदी
मार्च 2023 में हिमाचल सरकार ने भाजपा शासनकाल में एक अप्रैल 2022 के बाद खुले 17 डिग्री कॉलेज और 2 संस्कृत कॉलेजों को बंद कर दिया था। इनमें से छत्तरी कॉलेज को बचा लिया गया, लेकिन बाकी 19 कॉलेजों को बंद कर दिया गया था, जहां छात्रों की संख्या शून्य से 61 के बीच थी।
बंद कॉलेजों के छात्रों का क्या होगा?
- इन कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों को नजदीकी कॉलेजों में शिफ्ट किया जाएगा।
- शिक्षकों और गैर-शिक्षण स्टाफ को अन्य कॉलेजों में स्थानांतरित किया जाएगा।
- सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि छात्रों की शिक्षा पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश में कॉलेजों की संख्या बढ़ने के बावजूद कई संस्थानों में छात्रों की कमी के कारण बंदी का खतरा मंडरा रहा है। सरकार शिक्षा प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने के लिए निर्णय लेने की तैयारी में है। अब देखना यह होगा कि राज्य मंत्रिमंडल इस प्रस्ताव को मंजूरी देता है या नहीं।
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