भूमिहीन किसानों को मिलनी चाहिए राहत: युवा संगठनों की मांग
शिमला जिले के चौपाल उपमंडल में वन विभाग द्वारा किसानों और बागवानों को बेदखल करने की कार्रवाई का स्थानीय युवाओं ने विरोध किया है। युवाओं का कहना है कि वन विभाग उन लोगों को हटा रहा है, जिनके पास कोई निजी भूमि नहीं है, जबकि कई अन्य लोग, जिनके पास निजी संपत्ति है, वे अवैध रूप से सरकारी वन भूमि पर कब्जा किए हुए हैं।
युवाओं ने सरकार तक अपनी मांग पहुंचाने के लिए एसडीएम कार्यालय में एक ज्ञापन सौंपा। उन्होंने वन संरक्षण अधिनियम 1980 में संशोधन करने की मांग की है, जिससे क्षेत्र के भूमिहीन किसान और बागवान बेदखली से राहत पा सकें।
किसान संगठनों का बड़ा आंदोलन, सरकार से मांगी 5 बीघा जमीन
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व सेब उत्पादक संघ और हिमाचल किसान सभा ने किया। किसानों ने सरकार से यह स्पष्ट मांग रखी कि पीढ़ियों से खेती कर रहे किसानों को उनकी जमीन का मालिकाना हक दिया जाए।
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संघ के प्रतिनिधियों ने कहा:
✅ हर भूमिहीन किसान को 5 बीघा जमीन दी जाए।
✅ जिनके पास पहले से 10-15 बीघा निजी संपत्ति है, उन्हें सरकारी वन भूमि पर कब्जे की अनुमति नहीं दी जाए।
✅ अगर सरकार जल्द कोई कानून नहीं बनाती या बेदखली नहीं रोकती, तो यह आंदोलन और तेज होगा और जल्द ही सचिवालय तक मार्च किया जाएगा।
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