हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में चतुर्थ श्रेणी की अनुकंपा नियुक्ति को लेकर स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता को उसके पति की मृत्यु के समय प्रचलित नीति के तहत अनुकंपा आधार पर नौकरी दी जाए। साथ ही, अदालत ने विभाग को दो माह के भीतर इस मामले पर नए सिरे से विचार करने को कहा है।
क्या है मामला?
याचिकाकर्ता सविता बीबी ने कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि उनके पति वर्ष 2009 से डेलीवेजर चालक के रूप में कार्यरत थे और 2018 में उनकी मृत्यु हो गई थी। उस समय प्रदेश सरकार की नीति के तहत दैनिक वेतनभोगियों को अनुकंपा आधार पर नौकरी देने का प्रावधान नहीं था। हालांकि, 2019 में सरकार ने नीति में संशोधन करते हुए डेलीवेजर्स को भी करुणामूलक आधार पर नौकरी देने की व्यवस्था की।
याचिकाकर्ता की आपत्ति
सविता बीबी का कहना था कि उनके पति ने आठ वर्ष तक सेवा दी थी और इस आधार पर उनकी नियुक्ति को नियमित माना जाना चाहिए था। लेकिन विभाग ने उन्हें केवल दैनिक वेतनभोगी के रूप में नौकरी दी, जिसे उन्होंने अदालत में चुनौती दी।
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हाईकोर्ट का फैसला
अदालत ने माना कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति मृत्यु के समय की प्रचलित नीति के आधार पर होनी चाहिए थी। साथ ही, अदालत ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता की सेवाओं को उसकी प्रारंभिक नियुक्ति तिथि से मान्यता दी जाए और अन्य सभी वित्तीय लाभ भी प्रदान किए जाएं।
यह फैसला प्रदेश के उन अन्य मामलों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है, जहां अनुकंपा नियुक्ति को लेकर नीति में स्पष्टता की आवश्यकता है।
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