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हिमाचल के गोसदनों पर करोड़ों खर्च, फिर भी पशुओं की दयनीय स्थिति! हाईकोर्ट ने उठाए गंभीर सवाल

Published ByHNN Desk Date Dec 17, 2024

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गोसदनों पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद पशुओं की दयनीय स्थिति पर गंभीर संज्ञान लिया है। अदालत में इस मुद्दे को लेकर तीन अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। कोर्ट ने इस मामले में सरकार और विजिलेंस की रिपोर्ट पर असंतोष व्यक्त किया और पूछा कि इतनी बड़ी धनराशि का उपयोग कहां किया गया।


गोसदनों की दयनीय स्थिति

करोड़ों रुपये के खर्च के बावजूद पशुओं की हालत चिंताजनक

हाईकोर्ट ने सोमवार को पशुओं की गंभीर स्थिति पर संज्ञान लिया और कहा कि गोसदनों के नाम पर करोड़ों रुपये का बजट जारी किया गया, लेकिन फिर भी पशुओं की स्थिति सुधरी नहीं है। सरकार और विजिलेंस ने गोसदन के लिए खर्च की गई राशि के बारे में अपनी रिपोर्ट पेश की, लेकिन कोर्ट ने इस पर असंतोष व्यक्त किया।

पशुपालन अधिकारियों का कोर्ट में पेश होना

पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने कोर्ट में अपने रिकॉर्ड पेश किए, जिसमें गोसदनों के प्रबंधन की स्थिति और खर्च का ब्यौरा था। इसके बावजूद कोर्ट में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि उक्त धनराशि का सही तरीके से इस्तेमाल क्यों नहीं हुआ।


अदालत के सवाल और असहमति

बजट का उपयोग कहां हुआ?

कोर्ट ने सरकार और विजिलेंस की रिपोर्ट पर असहमति जताते हुए पूछा कि आखिरकार वह पैसा कहां जा रहा है जो गोसदनों के लिए आवंटित किया गया था। अदालत ने यह भी पाया कि गोशाला बनाने के लिए न तो कोई विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की गई है, न ही कोई टेंडर प्रक्रिया लागू की गई है, और न ही कोई रिकॉर्ड मौजूद है।

गोसदनों के लिए बड़ी गड़बड़ी की आशंका

विजिलेंस ने अदालत में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए यह स्वीकार किया कि गोसदनों के लिए खर्च की गई धनराशि में बड़ी गड़बड़ी पाई गई है। अदालत ने इस पर गंभीर चिंता जताई और सरकार से पूछा कि इस गड़बड़ी को कैसे सुधारा जाएगा।


आगामी कदम और जांच

पुलिस और सतर्कता ब्यूरो से जांच

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में यह आदेश दिया था कि गोसदनों के लिए खर्च की गई धनराशि की जांच धर्मशाला स्थित राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा की जाए। अदालत ने सरकार से यह भी कहा कि वह जवाब देने के लिए और समय ले सकती है, लेकिन जांच प्रक्रिया को तेज किया जाए।

अगली सुनवाई की तारीख

इस मामले की अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी, जब अदालत सरकार और विजिलेंस से जवाब मांगेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि गोसदनों के लिए आवंटित बजट का सही उपयोग हो।


लावारिस पशुओं के मामले में जनहित याचिकाएं

तीन अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर

हाईकोर्ट में लावारिस और बेसहारा पशुओं के मामले में तीन अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें से एक याचिका लुत्थान गोशाला के बारे में है, जबकि बाकी 8 अन्य गोसदनों से संबंधित हैं। इन मामलों में सरकार ने लगभग 4 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, फिर भी पशुओं की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है।

गोसदन की हालत में सुधार की कमी

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि इतनी बड़ी राशि जारी होने के बावजूद गोसदनों की स्थिति में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है। इसके अलावा, इन गोसदनों में लगभग 1000 पशु मारे गए हैं, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।


निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गोसदनों की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है और सरकार से बजट के सही इस्तेमाल और पशुओं की हालत में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने को कहा है। इस मामले की आगामी सुनवाई 18 दिसंबर को होगी, जब अदालत उम्मीद करेगी कि सरकार और विजिलेंस से पूरी रिपोर्ट प्राप्त होगी और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।

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