सिरमौर में कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद के लिए इस बार पहली बार कठिन इंटरव्यू प्रक्रिया अपनाई गई। कुल 11 दावेदारों ने अपनी दावेदारी पेश की है और पर्यवेक्षकों ने सभी से संगठनात्मक क्षमता से जुड़े विस्तृत प्रश्न पूछे।
नाहन
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस को करीब डेढ़ साल की देरी के बाद प्रदेश अध्यक्ष मिलते ही अब जिला अध्यक्षों को चुने जाने की कवायद तेज हो गई है। प्रदेश में यह पहली बार हो रहा है कि कांग्रेस सिफारिशों की जगह दावेदारों के इंटरव्यू लेकर जिला अध्यक्ष नियुक्त करेगी।
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इस प्रक्रिया के लिए बाकायदा पर्यवेक्षकों के द्वारा दावेदारों को कठिन संगठनात्मक प्रश्नावली से गुजारा गया है। इस इंटरव्यू में न केवल एकजुटता को बरकरार बनाने का फार्मूला पूछा गया, बल्कि प्रति विधानसभा क्षेत्र बूथ वाइज़ जानकारी भी जुटाई गई। वहीं इस बार जिला सिरमौर से अध्यक्ष पद को लेकर 11 दावेदारों ने दावेदारी जताई है।
दो प्रमुख विधानसभा क्षेत्रों से किसी ने नहीं दी दावेदारी
जिला सिरमौर में कुल 5 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र के विधायक मौजूदा समय प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं, वहीं दूसरी ओर शिलाई विधानसभा क्षेत्र से विधायक हर्षवर्धन चौहान मौजूदा समय सरकार में मंत्री भी हैं। बड़ी बात तो यह है कि जिला अध्यक्ष की दौड़ में ये दोनों विधानसभा क्षेत्र दावेदारी में नहीं उतरे हैं।
दावेदारी में कौन-कौन हैं?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिला अध्यक्ष की दावेदारी में पच्छाद से पूर्व जिला अध्यक्ष एवं जिला परिषद सदस्य आनंद परमार, जो कि हिमाचल निर्माता के पौत्र भी हैं, उन्होंने फिर से दावेदारी जताई।
इनके अलावा पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से पूर्व जिला परिषद सदस्य परीक्षा चौहान,

जिला परिषद सदस्य विनय भगनाल, पीसीसी में सचिव रहे अरुण मेहता ने भी दावेदारी रखी है। उधर नाहन विधानसभा क्षेत्र से युवा नेता जयदीप शर्मा, संजीव शर्मा उर्फ काला तथा आशिक मोहम्मद ने अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी की है।
पोंटा साहिब विधानसभा क्षेत्र से पूर्व में विधायक रहे कर्नेश जंग, युवा नेता अवनीत लांबा, तपेन्द्र सिंह तथा मनीष तोमर ने अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी दी है। इन सभी 11 दावेदारों के बुधवार की देर शाम को साक्षात्कार रखे गए थे जो कि वीरवार की देर शाम तक जारी रहे। यह साक्षात्कार केंद्र से आए पर्यवेक्षक ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह ने लिए थे।
काबिलियत पर विशेष फोकस
बड़ी बात तो यह थी कि इस साक्षात्कार के दौरान न केवल पर्यवेक्षक बल्कि उम्मीदवार के फोन भी कार्यालय से बाहर रखे गए थे। मजे की बात तो यह भी है कि पर्यवेक्षक के सामने कुछ ऐसे भी दावेदार थे जिन्होंने शक्ति प्रदर्शन भी दिखाने की कोशिश करी, मगर पर्यवेक्षक के द्वारा इन सबको नजरअंदाज कर केवल काबिलियत पर ही फोकस रखा गया।
अब यदि देखा जाए तो काबिलियत और संगठन के अनुभव को लेकर तो सबसे मजबूत दावेदारी पूर्व अध्यक्ष आनंद परमार की मानी जा रही है। बड़ी बात तो यह भी है कि आनंद परमार का नाम हिमाचल निर्माता के नाम से भी जुड़ा हुआ है, जिसे कांग्रेस अक्सर भुनाती (कैश करती) है। आनंद परमार हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार के पौत्र हैं।
सिरमौर दोनों पार्टियों के लिए खास फोकस में
चूंकि भाजपा और कांग्रेस के लिए अब जिला सिरमौर विशेष रूप से फोकस में भी है। उसकी बड़ी वजह दोनों प्रमुख पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष सिरमौर से ही ताल्लुक रखते हैं।
कांग्रेस के सामने जहां जिला की पांचों सीटों को विजय बनाना बड़ी चुनौती है, तो वहीं भाजपा के चाणक्य माने जाने वाले प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल 2027 में पांचों सीटों पर अपनी पूरी जीत का दावा जता रहे हैं।
संगठनात्मक नजरिए से अगर देखा जाए तो मौजूदा समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद जिला में कांग्रेस के संगठन से ज्यादा भाजपा काफी मजबूत स्थिति में है।
गुटबाजी से मुक्त चयन प्रक्रिया
कांग्रेस में विनय कुमार के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद वीरभद्र गुट सक्रिय होता नजर आ रहा है, मगर जिस पैरामीटर पर जिला अध्यक्ष का चुनाव होना है, उसमें गुटबाजी का “ग” भी नजर नहीं आ रहा है।
वहीं पर्यवेक्षक ब्रजेंद्र प्रताप सिंह ने खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि उनके द्वारा योग्यता को प्रमुखता दी जानी है। उन्होंने कहा कि साक्षात्कार केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि दावेदार की काबिलियत और नेतृत्व क्षमता को प्रमुखता से परखना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि जिला सिरमौर से ग्यारह लोगों ने जिला अध्यक्ष के लिए अपनी दावेदारी दी है। किसको जिला अध्यक्ष बनाया जाना है, यह हाईकमान के साथ स्क्रूटनी करने के बाद ही बताया जा सकेगा।
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