HNN/ बद्दी
शुक्रवार की सुबह बाल्द ने जब हरे रंग का पानी उगला तो चारों तरफ अफरा तफरी मच गई। मौके पर प्रदूषण विभाग की टीम ने मौके का मुआयना किया। किसी समय क्षेत्र की जीवनदायिनी मानी जाने वाली बाल्द आज औद्योगिक प्रदूषण का शिकार होकर रह गई है। कभी उद्योगों द्वारा छोड़ा जाने वाला कैमिकल युक्त पानी बाल्द में जहर घोल रहा है तो कभी टैंकर माफिया बाल्द के पानी को रंग बदलने पर मजबूर कर रहा है।
बद्दी से पंजाब के बार्डर तक बहने वाली बाल्द नदी के पानी से अब लोग डरने लगे हैं। यह वही बाल्द है जिसमें एक पीढी का बचपन अटकेलियां करते गुजरा है। बाल्द के किनारे लोग पशु चराते थे, बाल्द के पानी से किसान सिंचाई करते थे। लेकिन अब उसी बाल्द के पानी को छूने से भी लोग सहम जाते हैं। क्योंकि औद्योगिक प्रदूषण ने बाल्द को लोगों को डराने को मजबूर कर दिया है।
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड बद्दी की जांच में सामने आया है कि वार्ड नंबर 5 के सुरामाजरा बस स्टैंड के नीचे आईपीएच की सीवरेज लाईन डाली गई है। नगर परिषद बद्दी के अधिकार क्षेत्र में आने वाली इस आईपीएच की सीवरेज में कैमिकल युक्त टैंकर खाली किए जा रहे हैं। कुछ तथाकथित कबाडियों ने अवैध तरीके से पाईपें सीवरेज लाईन से जोड़ रखी हैं और सीवरेज टैंकरों में उद्योगों से भरकर कैमिकल युक्त पानी यहां आईपीएच की सीवरेज में डिस्चार्ज किया जा रहा है।
प्रदूषण कंट्रोल बोड की टीम में शामिल एसडीओ पवन कुमार, एसडीओ अभय गुप्ता व जेई अभिषेक ने सारे मामले की जांच के बाद इस बाबत नगर परिषद बद्दी व आईपीएच को नोटिस भेजकर जबाब मांगा है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का कहना है कि यह सीवरेज में नगर परिषद बद्दी का पानी जा रहा है और आईपीएच इसकी देखरेख करता है। कैसे इस सीवरेज लाईन में अवैध तरीके से पाईपें जोड़ी गई हैं इस पर कार्रवाई नप और आईपीएच की बनती है।
नोटिस के बाद भी अगर नगर परिषद और आईपीएच ने इस बाबत कोई सख्त कदम नहीं उठाया तो पीसीबी दोनों विभागों को जुर्माना लगाने को मजबूर हो जाएगी। पीसीबी के अधिषाशी अभियंता प्रवीण गुप्ता ने नप व आईपीएच को नोटिस की पुष्टि की है। बीबीएन में टैंकर माफिया ने पूरे क्षेत्र में गदर मचा रखा है। जहां भी खाली जगह, नदी नाले मिलते हैं सीवरेज टैंकरों को खाली कर दिया जाता है।
वहीं इन सीवरेज टैंकरों द्वारा उद्योगों से कैमिकल युक्त पानी ढोया जा रहा है और उन्हें में अवैध तरीके से नदी नालों में खाली किया जा रहा। केंदूवाल ट्रीटमेंट प्लांट में 5000 लीटर के कैमिकल युक्त पानी को ट्रीट करने के लिए 10000 हजार रूपये के करीबन खर्चा आता है। लेकिन यही पानी 700 रूपये में टैंकरों के माध्यम से नदी नालों में डिस्चार्ज कर दिया जाता है। जिन जिन उद्योगों से टैंकरों के माध्यम से पानी बाहर निकाला जा रहा है प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने उन उद्योगों को नोटिस जारी कर जबाब मांगा है और सख्त कार्रवार्ई की तैयारी की जा रही है।