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पद्मश्री सरैक को सम्मानित करने के कांग्रेस के बयान को बताया नौटंकी

PRIYANKA THAKUR Date January 31, 2022 at 1:13 pm

बीडीसी अध्यक्ष मेलाराम शर्मा ने कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष मुसाफिर पर कसे तंज 

HNN / संगड़ाह

पंचायत समिति संगड़ाह के अध्यक्ष मेलाराम शर्मा तथा सिरमौर जिला भाजपा उपाध्यक्ष बलबीर सिंह ठाकुर ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष गंगूराम मुसाफिर के उस बयान को नौटंकी बताया, जिसमें उन्होंने कांग्रेस की ओर से पदमश्री विद्यानंद सरैक को सम्मानित करने की बात कही है। भाजपा नेताओं ने कहा कि पिछले 6 दशक मे श्री सरैक द्वारा किए गए लोक संस्कृति, कलाओं व लोक संगीत के संरक्षण कार्यों की पहचान कर भाजपा सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए चयनित किया है, जबकि कांग्रेस शासनकाल मे हमेशा उनकी अनदेखी हुई।

उन्होंने कहा कि, पिछले छह दशक के दौरान ज्यादातर समय कांग्रेस की सरकार सत्ता में रही और इस दौरान गंगुराम मुसाफिर कई बार कैबिनेट मंत्री भी रहे। अपनी सरकार के समय मे कभी भी कांग्रेस नेताओं ने उन्हे राष्ट्रीय पुरस्कार देने का मुद्दा नही उठाया। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक रह चुके मेलाराम शर्मा ने कहा कि विद्यानंद सरैक ने लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए उल्लेखनीय कार्य किए हैं और वह दशकों से उन्हे व्यक्तिगत रूप से जानते है।

सरैक द्वारा लोक संस्कृति व लोक संगीत के संवर्धन और संरक्षण के लिए दिए गए योगदान की पहचान हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार ने की और पदमश्री पुरस्कार के लिए सिफारिश भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को भेजी। उन्होंने कहा कि, इससे पूर्व कांग्रेस सरकारों ने प्रतिभाशाली शख्सियतों के प्रति उदासीन रवैया ही नहीं अपनाया, अपितु उन्हें हाशिए पर धकेल कर रखा। उन्होने कहा कि, वर्ष 2015 से 17 तक कांग्रेस सरकार द्वारा हिमाचल के साहित्यकारों व कलाकारों को पुरस्कार नही दिए गए और हाल ही मे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने उक्त पुरस्कार जारी किए।

उन्होंने कहा कि कांग्रेसी यह ढोंग रच कर विद्यानंद सरैक के पदमश्री पुरस्कार पर ओछी राजनीति करने के कुप्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने मुसाफिर व प्रदेश के कांग्रेसियों से पूछा कि जब प्रदेश और केंद्र में उनकी सरकारें थी तब उन्होंने विद्यानंद सरैक की प्रतिभा को सम्मानित क्यों नहीं किया। उन्होंने कहा कि, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष गंगुराम मुसाफिर को ऐसे वक्त पर सरैक याद आए जब न तो उनकी सरकार है और न ही उनकी विधायक की कुर्सी बची। अब राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए कांग्रेसी नेता भी उन्हें सम्मानित करने का ढोंग रच रहे हैं।

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