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न्यायिक जाँच तक जेल में रहूँगा”: लेह हिंसा पर सोनम वांगचुक का बड़ा बयान, मामला सुप्रीम कोर्ट में

Shailesh Saini | 6 अक्तूबर 2025 at 8:29 am

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हिमाचल नाऊ न्यूज़ नई दिल्ली/लेह

लद्दाख के जाने-माने सामाजिक और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने लेह में हुई हालिया हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत की स्वतंत्र न्यायिक जाँच की मांग करते हुए एक बड़ा बयान दिया है।

जोधपुर सेंट्रल जेल से रविवार, 05 अक्टूबर 2025 को जारी किए गए एक पत्र में वांगचुक ने स्पष्ट कहा है कि जब तक स्वतंत्र न्यायिक आयोग से इस घटना की जाँच नहीं होती, वह जेल में ही रहने को तैयार हैं।

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वांगचुक को लेह हिंसा भड़काने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत 26 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने अपने पत्र में हिंसा के शिकार हुए परिवारों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं और लिखा कि “जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई, उनके परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।

मैं घायलों और गिरफ्तार लोगों के लिए प्रार्थना करता हूँ। हमारे चार लोगों की मौत की जाँच एक स्वतंत्र न्यायिक आयोग से होनी चाहिए, और जब तक ऐसा नहीं होता, मैं जेल में ही रहूँगा।

” यह संदेश लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के कानूनी सलाहकार मुस्तफा हाजी और वांगचुक के भाई त्सेतन दोरजे ले ने 4 अक्तूबर को जोधपुर जेल में उनसे मुलाकात के बाद साझा किया।

इधर, वांगचुक की गिरफ्तारी का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है। उनकी पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो ने शीर्ष अदालत में बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका दाखिल की है, जिसमें वांगचुक की गिरफ्तारी को अवैध, असंवैधानिक और ‘लोकतांत्रिक असहमति को दबाने की दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई’ बताया गया है।

याचिका में लद्दाख प्रशासन को यह आदेश देने की मांग की गई है कि वांगचुक को तुरंत अदालत में पेश किया जाए और उनकी नजरबंदी रद्द की जाए। सुप्रीम कोर्ट की कार्यसूची के अनुसार, इस याचिका पर 06 अक्टूबर को सुनवाई होने की संभावना है।

वांगचुक को उस आंदोलन के दौरान हिरासत में लिया गया, जो लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर किया जा रहा था। लद्दाख पुलिस ने उन पर भीड़ को उकसाने और हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है, जबकि वांगचुक के समर्थक इसे राजनीतिक प्रतिशोध बता रहे हैं।

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