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कमरऊ में प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाने के लिए ग्रामीणों ने बंद करवाया ग्रीन कॉरिडोर का काम

ग्रामीणों की मांग, मैनुअल तरीके से बावड़ी के आसपास की जाए खुदाई व लगाया जाए डंगा

HNN/ शिलाई

जिला सिरमौर के पांवटा साहिब-शिलाई-गुम्मा नेशनल हाईवे 707 निर्माणधीन प्रदेश के पहले ग्रीन कॉरिडोर कार्य लोगों की परेशानियों का सबब बन गया है। जहां भूस्खलन से सड़क प्रतिदिन कहीं ना कहीं बंद होती है।

वहीं अब कमरऊ गांव के ग्रामीण, पंचायत प्रधान मोहन सिंह ठाकुर, नवयुवक मंडल के सदस्य विक्रम सिंह, जगदीप तोमर, विनोद ठाकुर, राकेश कुमार, रमन ठाकुर, प्रकाश ठाकुर, अमित ठाकुर, अविनाश राणा, अनुज ठाकुर, सुंदर सिंह, जागर सिंह, विशाल व मुकेश शर्मा अपने गांव की बावड़ी एवं जल स्रोतों को बचाने के लिए सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय से गुहार लगा रहे हैं।

ग्रामीणों ने बावड़ी तथा जल स्रोत को बचाने के लिए जहां कंपनी के खिलाफ प्रदर्शन किया, वहीं बावड़ी के आसपास का कार्य भी बंद करवा दिया। ग्रामीणों की मांग है कि जल स्रोतों के आसपास मैनुअल तरीके से कार्य किया जाए तथा सड़क के निचली ओर डंगा लगाया जाए। ताकि प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाया जा सके।

कमरऊ के नालका में प्राकृतिक जल स्त्रोत को बचाने के लिए ग्रामीणों ने एसडीएम कफोटा का मौके पर निरीक्षण भी करवाया। ग्रीन कॉरिडोर के निर्माण में लगी कंपनियों से जल स्त्रोत और बावड़ी को सुरक्षित रखने की मांग की जा रही गई। विदित रहे कि इस ग्रीन कॉरिडोर के निर्माण कार्य को लेकर क्षेत्र के समाजसेवी नाथूराम चौहान ने कंपनियों द्वारा की गई अवैज्ञानिक कटिंग, नदी नालों में की जा रही अवैध डंपिंग के खिलाफ एनजीटी में शिकायत की है।

दिल्ली एनजीटी में यह मामला चल रहा है। 22 जुलाई को भी इस मामले में दिल्ली में सुनवाई हुई है। शिलाई विधानसभा के लोगों तथा समाजसेवी नाथूराम चौहान का आरोप है कि निर्माणधीन कंपनियों ने पांवटा साहिब से लेकर फ्रेंडस पुल तक 103 किलोमीटर के एरिया में 200 से ज्यादा प्राकृतिक जल स्रोतों को नष्ट कर दिया है।

जिसकी शिकायत तथा ज्ञापन कई बार सड़क परिवहन राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों को सौंपे जा चुके हैं। उसके बावजूद कंपनी के कर्मचारी लगातार जलस्रोतों के समीप बड़ी एलएनटी मशीनों से कटिंग कर रहे हैं। कमराऊ के नालका में इस प्राकृतिक जल स्रोत में पूरे वर्ष भर करीब 10 इंच तक पानी पहाड़ से लगातार बहता रहता है।

जो ग्रामीणों को पीने का पानी तथा सिंचाई का एकमात्र साधन है। ग्रामीणों का आरोप है यदि बावड़ी के आसपास ब्लास्टिंग तथा एलएनटी मशीन की कटिंग की गई, तो पानी वहां से विलुप्त हो जाएगा। जिससे लोगों को जहां पीने के पानी की समस्या होगी, वही खेतों में सिंचाई की भी मुश्किल हो जाएगी।

उधर, एसडीएम कफोटा राजेश वर्मा ने बताया कि उन्होंने ग्रामीण के साथ नालका में प्राकृतिक जल स्त्रोत का निरीक्षण किया। ग्रामीण की मांग पर जल स्त्रोत को बचाने के लिए सड़क परिवहन तथा राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय को पत्र लिखा गया है।


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