Himachalnow/शिमला
हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) को घाटे में पहुंचाने में कई सरकारी और निजी एजेंसियां जिम्मेदार हैं, जो सालों से करोड़ों रुपये निगम को भुगतान करने में असफल रही हैं। सीबीआई टीम की बोर्डिंग और लॉजिंग की सबसे बड़ी 21.96 लाख रुपये की देनदारी है, जो गुड़िया केस की जांच में होटल पीटरहॉफ में लंबे अरसे तक रुकी। इसके अलावा निगम ने सरकारी और निजी क्षेत्र से करीब 2.50 करोड़ रुपये वसूल करने हैं।
इस बकाया राशि की वसूली के लिए पर्यटन निगम संबंधित अधिकारियों को धड़ाधड़ चिट्ठियां भेज रहा है और उन्हें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के सख्त रुख से भी अवगत करवाया जा रहा है। पर्यटन निगम ने 17 दिन में वसूले 2.69 करोड़ रुपये रिकवर कर लिए हैं। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम का 31 दिसंबर 2024 तक सरकारी विभागों और उपक्रमों के पास 4,13,41,848 रुपये बकाया था। इसमें से 7 नवंबर तक 1,68,22,370 रुपये की रिकवरी कर ली गई।
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निजी क्षेत्र का 1,06,28,421 रुपये बकाया था और 7 नवंबर 2024 तक 47,07,403 रुपये रिकवर कर लिया गया। यानी 31 अक्तूबर 2024 तक 5,19,70,269 रुपये आउटस्टैंडिंग था, जिसमें से 7 नवंबर 2024 तक 2,15,29,773 रुपये की रिकवरी की गई। 7 नवंबर तक सरकारी क्षेत्र में 2,45,19,478 रुपये और निजी क्षेत्र में 59,21,018 रुपये बकाया था।
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