HNN/मंडी
मंडी जिले के थुनाग में स्थित सराज घाटी के अराध्य देव मतलोड़ा का त्रैवार्षिक हूम (जाग) सोमवार को धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने देवता के मूल स्थान देव कांढा पहुंचकर शीश नवाया और सुख समृद्धि की कामना की।
तीन साल बाद आयोजित वार्षिक जाग में देवता ने कांढा खरशू में हवन और गोदान किया। इस दौरान 160 बच्चों का सामूहिक मुंडन संस्कार भी हुआ। देव मतलोड़ा के गूर प्रवीण कुमार ने बताया कि विश्व शांति, आम जन मानस और देवता के भक्तजनों पर कोई विपदा न आए, इसके लिए हर तीसरे साल देव मतलोड़ा के मूल स्थान में गोदान किया जाता है। इस हूम में बच्चों का मुंडन संस्कार भी किए गए।
देव मतलोड़ा कमेटी के अध्यक्ष डोले राम मुनहार ने बताया कि मान्यता के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद कुरुक्षेत्र से भगवान विष्णु बालक रूप में द्रंग, मंडी और घासनू होते हुए भाटकीधार पहुंचे थे। यहां उनका सामना एक दैत्य से हुआ। देव मतलोड़ा ने एक महिला की सहायता से दैत्य का संहार कर लोगों को दैत्य के आतंक से छुटकारा दिलाया। तभी से सराज में देव मतलोड़ा को बड़ा देव के रूप में मानते आ रहे हैं। आज भी देवता की प्रमुख पूजा के दौरान महिला का सहयोग और मौजूदगी को शुभ माना जाता है। सराज में देवता को बड़ा देव मतलोड़ा के नाम से जाना जाता है।