देश के पहले मशरूम उत्पादन संस्थान को 8 साल बाद भी नसीब नहीं हुई जमीन फोरलेन में गई जमीन के बाद लावारिस पड़ा संस्थान, चयनित जमीन के लिए नहीं मिली अभी तक आईएनओसी ।
देश में पहली बार मशरूम की खेती की शुरुआत करने वाले संस्थान को सरकार 8 साल बीत जाने के बाद भी जमीन नसीब नहीं कर पाई है। बताना जरूरी है कि सोलन के चंबाघाट स्थित मशरूम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का कंपोस्ट यूनिट 2017 में फोरलेन की भेंट चढ़ गया था। इस कंपोस्ट यूनिट में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से किसान मशरूम उगाने की ट्रेनिंग लेने के लिए आया करते थे।
हालांकि अभी डीएमआर सोलन ट्रेनिंग करवा रहा है बावजूद इसके मशरूम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का कंपोस्ट यूनिट न होने से मशरूम उत्पादन में रुचि रखने वाले किसानो को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। सरकार के द्वारा मशरूम कंपोस्ट की वैकल्पिक व्यवस्था शिमला जिला के दत्तनगर में की गई है जो कि अधिकतर यूनिट संचालकों के लिए काफी दूर पड़ रही है। हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि 2020-21 में सोलन के सपाटू रोड पर कंपोस्ट यूनिट के लिए भूमि चयनित की गई थी। बावजूद इसके अभी तक चयनित की गई जमीन के लिए सरकार के द्वारा एनओसी उपलब्ध नहीं कराई गई है।
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बता दे की वर्ष 1961 में चंबाघाट के इस संस्थान में देश की पहली मशरूम की खेती की गई थी। वर्ष 1978 में संयुक्त राष्ट्र विकास परियोजना के तहत मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 1.27 करोड़ की आर्थिक मदद भी दी गई थी।
इसके बाद जर्मन वैज्ञानिकों के सहयोग से यहां मशरूम के लिए कंपोस्ट तैयार किए जाने लगी। संस्थान में प्रदेश के 7 से 8000 के लगभग किसानों को मशरूम कंपोस्ट तैयार करने की तकनीक भी सिखाई गई। संस्थान के द्वारा 100 के लगभग किसानों को यूनिट स्थापित करने के लिए सब्सिडी उपलब्ध कराई गई थी। बावजूद इन सब के आज यह संस्थान विलुप्ति की कगार पर आ गया है।
बता दे कि मशरूम उत्पादन करने वाले अधिकतर किसान लोअर हिमाचल बेल्ट में ही स्थित है। संस्थान के द्वारा मशरूम उत्पादन में हुए शोधों के चलते सोलन जिला पूरे देश में पहला स्थान प्राप्त करता है। सोलन जिला में ही राष्ट्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र भी स्थित है जहां पर मशरूम नहीं नहीं किस्म पर शोध होता रहता है। मगर कंपोस्ट यूनिट के न होने के चलते किसानों में मशरूम उत्पादन के प्रति रुचि भी कम हो रही है।
किसानों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द कंपोस्ट यूनिट के लिए चयनित की गई भूमि सीएनओसी जारी करें ताकि उत्पादन कर्ताओं के साथ-साथ नई यूनिट स्थापित करने वाले किसानों को नजदीक ही कंपोस्ट मिल पाए।उधर मशरूम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट चंबाघाट की उपनिदेशक शिवाली ठाकुर ने बताया कि कंपोस्ट यूनिट के लिए सपाटू रोड पर भूमि चयन की गई है जिसकी एनओसी आना बाकी है।
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