तीसरी बार जीत का सेहरा बांधने वाले नैयब सिंह सैनी को 2029 की बनानी होगी पृष्ठभूमि
HNN/नाहन
भाजपा पहली ऐसी पार्टी बन गई जिसने राज्य में लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने में कामयाबी पाई है। भाजपा ने असंभव को सम्भव तो कर दिखाया है मगर असली चुनौती किए गए चुनावी वायदों को पूरा करना नई सरकार सामने बड़ी चुनौती होगी। पार्टी ने अपने 72 पेज के चुनावी घोषणा (संकल्प) पत्र मे कई लुभावने वादे किए थे। संकल्प पत्र सबसे बड़ी चुनौती युवाओं और महिलाओं की है। जिसमें युवाओं को दो लाख पक्की नौकरी लगाने वायदा संकल्प पत्र में था। मगर वहीं केद्रीय गृह मंत्रीअमित शाह ने अपनी रैली में पांच लाख नौकरियों की घोषणा करके गए थे। ऐसे में अमित शाह की घोषणा को अमली जामा पहनाना भी भावी मुख्यमंत्री के लिए प्राथमिकता रहेगी।
500 रुपए में एलपीजी सिलेंडर जैसी घोषणा तो राज्य सरकार के पहले ही फैसला लेने के बाद भी संकल्प पत्र का हिस्सा बनी थी, लेकिन अभी तक सब्सिडी मिलना शुरू नहीं हुई है। सिलेंडर के साथ ही लाडो लक्ष्मी योजना के तहत प्रतिमाह 2100 रुपए लाभ सभी महिलाओं को देना बड़ी चुनौती होगी।
संकल्प पत्र के अनुसार शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पांच लाख घर बनाकर देने जैसी घोषणाएं अलग से हैं। चुनाव से पहले कांग्रेस की घोषणाओं वायदों को खत्म करने के लिए सरकार ने स्वास्थ्य और कई वर्गों के लिए घोषणाएं कीं। किसानों से 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदने का फैसला पहले ही कर लिया था। भाजपा की तीसरी बार सरकार बनने में गैर जाट वोटों के समीकरण, दलित वोटों के बिखराव के साथ ही केंद्र-राज्य सरकार के द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी घोषणाओं की अहम भूमिका रही।
पार्टी के लिए मतदाताओं ने जाति की सभी सीमाएं लांधी हैं। चुनावों से कुछ महीने पहले पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा नैम सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर जातिगत आधार के लाभार्थियों ने भी भाजपा सरकार को चुनने में मदद की है। ऐसे में भाजपा सरकार के सामने भविष्य में इन्हें पूरा करने और राज्य की स्थिति को ठीक रखने की दोहरी चुनौती भी होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक घोषणाओं की पूर्ति करने में कम से कम 30 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक का खर्च आएगा।
वहीं, दूसरी जाति विशेष के ठोस आधार पर टिकी जेजेपी, इनेलो जैसी पार्टियों को मतदाताओं ने सिरे से नकार कर स्पष्ट संदेश दिया है कि अब वे छोटे दायरों में फंसने वाले नहीं है। इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी की उम्मीदों को करारा झटका लगा है। पार्टी राज्य में संगठन से ज्यादा सोशल मीडिया पर संगठन को खड़ा करने पर काम करती रही। नतीजा यह रहा कि सुर्खियों में तो पार्टी रही, लेकिन जमीन पर एक भी सीट नहीं जीत सकी।
यहां तक की किसी भी सीट मुख्य मुकाबले में भी नहीं आ पाई। बागियों और निर्दलियों को नकार कर भी मतदाताओं ने बताया कि मुख्यधारा की पार्टियां ही हरियाणा के विकास का भविष्य हैं। अब भावी सरकार को 100 दिन का एजेंडा घोषित कर वादों की पहली सौगात दे कर अन्य राज्यों के लिए भी रोल मॉडल साबित होना होगा।
अब यदि बात की जाए नायब सिंह सैनी की तो भले ही उनके गृह क्षेत्र के आस-पास के विधानसभा क्षेत्र ंग्रेस ने हासिल कर लिए हों मगर भाजपा के सर तीसरी बार जीत का। सेहरा बाँधकर उनका कद राजनीतिक गलियारों में काफी ऊंचा भी हो गया है।
नायब सिंह सैनी पर न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बल्कि संगठन प्रमुख सहित अमित शाह। का भी वरद्धहस्त बना हुआ है ऐसे में 2029 को एक बार फिर भाजपा की झोली। में डालने को लेकर मंत्री मंडल में नए चेहरों को जगह मिलना लगभग तय है। हालांकि अनिल विज द्वारा चुनावों के दौरान जिस तरीके से बयान दिए गए थे वह उनके लिए फिर से मंत्रिमण्डल में जाने के लिए नुकसानदायक भी साबित हो सकते हैं। बहरहाल अब देखना ये होगा कि तीसरी बार मिले इस मौके के बाद हरियाणा की नई सरकार किस तरीके से अपने वायदों के साथ-साथ जनता के सामने एकमात्र विकल्प साबित होगी।