शिमला के ढली से कफरी के बीच अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले तहबजारियों ने प्रशासन, वन विभाग, और एनएचआई की कार्यवाही के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। तहबजारी यूनियन ने सीटू (CITU) के बैनर तले उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार और प्रशासन स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी 2014 का उल्लंघन कर रहे हैं और उनका रोजगार छीन रहे हैं।
तहबजारियों का आरोप: रोजगार छीनने की कोशिश
यूनियन का कहना है कि वन विभाग और एनएचआई द्वारा तहबजारियों को उजाड़ने का काम किया जा रहा है।
- कई वर्षों का संघर्ष: ढली से कफरी तक लंबे समय से रेहड़ी-फड़ी और ढाबों का संचालन कर रहे लोगों को काम करने से रोका जा रहा है।
- कानून का उल्लंघन: स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी के तहत तहबजारियों को उजाड़ा नहीं जा सकता, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन कार्यवाही कर रहा है।
स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 का महत्व
सीटू प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने बताया कि स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किया गया था।
हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: Join WhatsApp Group
- सुप्रीम कोर्ट का निर्देश (2007): छोटे व्यवसायियों और तहबजारियों को उजाड़ने के बजाय उन्हें व्यवस्थित करने के लिए एक कानून बनाने का आदेश दिया गया था।
- कानून के तहत प्रावधान:
- तहबजारियों को उजाड़ा नहीं जाएगा।
- उन्हें व्यवस्थित करने के लिए उचित व्यवस्था की जाएगी।
- संवैधानिक उल्लंघन: प्रदर्शनकारियों का कहना है कि तहबजारियों को हटाने की नीति संविधान और कानून के खिलाफ है।
प्रदर्शनकारियों की मांग
प्रदर्शनकारियों ने डीसी कार्यालय के बाहर यह मांग रखी:
- तहबजारियों को स्थायी समाधान दिया जाए।
- उजाड़ने की नीति को तुरंत रोका जाए।
- स्ट्रीट वेंडर एक्ट के तहत तहबजारियों को उनके अधिकार दिलाए जाएं।
सीटू का समर्थन और सरकार पर सवाल
सीटू प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी कहा कि तहबजारियों का रोजगार छीनने की कोशिश न केवल मानवाधिकारों का हनन है, बल्कि यह कानून और संविधान के खिलाफ भी है। उन्होंने सरकार से मांग की कि तहबजारियों को व्यवस्थित तरीके से बसाया जाए।
शिमला के तहबजारियों का प्रदर्शन प्रशासन और सरकार से उनके अधिकारों की सुरक्षा की गुहार है। स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 के तहत उनके उजाड़ने की बजाय व्यवस्थित करने की आवश्यकता है। यह प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि तहबजारियों की समस्याओं का समाधान किए बिना उन्हें हटाना संवैधानिक रूप से अनुचित है।
📢 लेटेस्ट न्यूज़
हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें
ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए अभी हमारे WhatsApp ग्रुप का हिस्सा बनें!
Join WhatsApp Group