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दिसंबर प्रदोष व्रत 2024 / 12 या 13 दिसंबर जानें प्रदोष व्रत की सही तिथि और शुभ मुहूर्त

हिमाचलनाउ डेस्क | 11 दिसंबर 2024 at 4:55 am

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प्रदोष व्रत का शास्त्रों में विशेष महत्व है और यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। माना जाता है कि इस दिन पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। इस व्रत को हर महीने दो बार किया जाता है। आइए, इस विशेष दिन की महिमा और विधि के बारे में विस्तार से जानें।

दिसंबर में प्रदोष व्रत

वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि इस बार 12 दिसंबर को देर रात 10:26 बजे से प्रारंभ होगी। तिथि का समापन 13 दिसंबर को शाम 07:40 बजे होगा। अत: इस दिन 13 दिसंबर को प्रदोष व्रत का आयोजन किया जाएगा। प्रदोष काल संध्या में 05:26 बजे से 07:40 बजे तक रहेगा, जो व्रत और पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है।

प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

भगवान शिव की पूजा से जीवन में कई लाभ होते हैं। प्रदोष व्रत का पालन करने से व्यक्ति को आरोग्यता, ऐश्वर्य, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह व्रत ग्रह दोष दूर करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए भी जाना जाता है। विशेष रूप से:

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  • ग्रह दोष दूर होते हैं और जीवन में शांति और संतुलन आता है।
  • व्रत के दिन दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।
  • शत्रु विजय और मानसिक शांति मिलती है।
  • वैवाहिक जीवन में सुधार और दांपत्य जीवन में सुखमय संबंध बनते हैं।

प्रदोष व्रत का पालन करने के नियम

प्रदोष व्रत के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है। आइए जानें इस व्रत को सही तरीके से करने की विधि:

1. व्रत का संकल्प

प्रदोष व्रत के दिन, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करके व्रत का संकल्प लें। इससे व्रत की सफलता और धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है।

2. पूजा स्थल की सफाई और अभिषेक

पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें। इसके बाद शिव परिवार (भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय) का पूजन करें।

3. पूजा सामग्री और पूजा विधि

  • भगवान शिव पर बेल पत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
  • फिर, प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें। कथा सुनना और समझना विशेष फलकारी माना जाता है।

4. आरती और उपवास का पारण

पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ जरूर करें। इसके बाद ही व्रत का पारण करें (उपवास का समापन)। पारण के समय हल्का भोजन करना चाहिए।

प्रदोष व्रत का महत्व संक्षेप में

प्रदोष व्रत न केवल धार्मिक कृत्य है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और शिव कृपा का आशीर्वाद लाने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। इसे विधिपूर्वक करने से जीवन में हर प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है और सुखद परिणाम मिलते हैं।

इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा और व्रत का पालन करें, ताकि आपके जीवन में हर दिशा से खुशियाँ और समृद्धि आए।

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