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HP Board: आठवीं कक्षा के प्रश्नपत्रों में पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्न, स्कूल शिक्षा बोर्ड करेगा जांच

Published ByHNN Desk Date Dec 14, 2024

Himachalnow / धर्मशाला

विषय की पृष्ठभूमि

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड (HPBOSE) ने आठवीं कक्षा के प्रश्नपत्रों में पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्न आने की घटनाओं पर जांच के आदेश दिए हैं। यह मुद्दा प्रदेश के शीतकालीन अवकाश वाले स्कूलों की परीक्षाओं के दौरान सामने आया, जो कि बोर्ड द्वारा संचालित हैं।


परीक्षा में त्रुटियां

  1. आठवीं कक्षा के प्रश्नपत्र:
    • हिंदी पेपर: 12 अंकों के प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर थे।
    • गणित पेपर: 20 अंकों के प्रश्न उन विषयों से थे, जो पाठ्यपुस्तकों से पहले ही हटा दिए गए थे।
    • कुल मिलाकर, 32 अंकों के प्रश्न पाठ्यक्रम के बाहर से पूछे गए।
  2. समस्या का दायरा:
    तीसरी और पांचवीं कक्षाओं की परीक्षाएं बिना किसी समस्या के आयोजित की गईं, जबकि आठवीं कक्षा के प्रश्नपत्रों में यह गड़बड़ी पाई गई।

बोर्ड का दृष्टिकोण

  1. जांच के आदेश:
    सचिव, हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड डॉ. मेजर विशाल शर्मा ने कहा कि:
    • प्रश्नपत्र तैयार करने की प्रक्रिया में दो बार चेकिंग होती है।
    • इसके बावजूद पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्न शामिल होना गंभीर चूक है।
    • दोषी पाए जाने वाले पेपर सेटर और चेकिंग अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
  2. शिक्षक संघ का विरोध:
    • राजकीय अध्यापक संघ ने इस मामले को गंभीरता से उठाया और इसे बोर्ड की लापरवाही करार दिया।

प्रश्नपत्र तैयार करने की प्रक्रिया

  • पेपर सेटर: प्रश्नपत्र तैयार करता है।
  • दो बार चेकिंग:
    • पहली चेकिंग: पेपर सेटिंग की समीक्षा।
    • दूसरी चेकिंग: पाठ्यक्रम और संरचना की पुष्टि।
  • इसके बावजूद प्रश्नपत्रों में पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्न शामिल होना सवाल खड़े करता है।

बोर्ड की प्रतिक्रिया और कार्रवाई

  • जांच का आदेश:
    इस घटना की पूरी जांच की जाएगी।
  • सुधार के कदम:
    भविष्य में ऐसी गलतियों को रोकने के लिए बोर्ड नई प्रक्रियाएं लागू करने पर विचार करेगा।
  • विभागीय कार्रवाई:
    दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।

निष्कर्ष

आठवीं कक्षा के प्रश्नपत्रों में गड़बड़ी हिमाचल प्रदेश शिक्षा व्यवस्था के लिए एक गंभीर मुद्दा है। यह मामला न केवल परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। शिक्षा बोर्ड को इस मामले से सबक लेते हुए छात्रों के हित में ठोस कदम उठाने होंगे।

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