Himachalnow / शिमला
हिमाचल प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए ई-चार्जिंग स्टेशन और ई-वर्कशॉप बनाने का रास्ता अब पूरी तरह साफ हो गया है। राज्य सरकार और वित्त विभाग की मंजूरी के बाद इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को साकार करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस योजना के तहत प्रदेशभर में ई-चार्जिंग स्टेशन और इलेक्ट्रिक बसों की मरम्मत के लिए ई-वर्कशॉप का निर्माण किया जाएगा।
1. परिवहन विभाग की असमर्थता और एचआरटीसी की भूमिका
पहले की मंजूरी और विभाग की असमर्थता
पहले सरकार ने परिवहन विभाग को ई-चार्जिंग स्टेशन बनाने की मंजूरी दी थी, लेकिन विभाग ने इसे लेकर असमर्थता जताई थी। इसके कारण यह प्रोजेक्ट कुछ समय के लिए ठंडे बस्ते में चला गया था और निर्माण कार्य में देरी हो रही थी।
वित्त विभाग की मंजूरी
अब, वित्त विभाग ने एचआरटीसी (हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन) को इस कार्य के लिए अधिकृत कर दिया है। एचआरटीसी को इस परियोजना को लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है, जिसके बाद अब निर्माण प्रक्रिया शुरू हो पाएगी।
2. 128 करोड़ रुपये की लागत और नाबार्ड से वित्तीय सहायता
परियोजना का कुल बजट
ई-चार्जिंग स्टेशन और ई-वर्कशॉप के निर्माण के लिए कुल 128 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। इस बजट का 90% हिस्सा नाबार्ड से ऋण के रूप में लिया जाएगा, जबकि 10% राशि राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी।
नाबार्ड की सहमति और पहली किश्त
नाबार्ड ने पहले चरण में लगभग 35 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी है। इस वित्तीय सहायता से अब प्रोजेक्ट की प्रक्रिया को गति मिलेगी और निर्माण कार्य जल्द शुरू होगा।
3. ई-चार्जिंग स्टेशन और वर्कशॉप का निर्माण
ई-चार्जिंग स्टेशन का नेटवर्क
इस योजना के तहत प्रदेशभर में ई-चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा। इन स्टेशनों का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन के लिए आवश्यक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करना है। यह पहल राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए की जा रही है।
एचआरटीसी द्वारा ई-वर्कशॉप का निर्माण
इसके साथ ही एचआरटीसी प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में ई-वर्कशॉप बनाने जा रहा है। इन वर्कशॉप्स में विशेष रूप से इलेक्ट्रिक बसों की मरम्मत के लिए आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। शिमला जिले में दो प्रमुख स्थानों—ढली और तारादेवी में इन वर्कशॉप्स का निर्माण किया जाएगा।
4. इलेक्ट्रिक बसों के रखरखाव के लिए योजना
वर्तमान स्थिति
वर्तमान में एचआरटीसी इलेक्ट्रिक बसों की मरम्मत के लिए निजी कंपनियों पर निर्भर है। नई इलेक्ट्रिक बसों को पांच साल की वारंटी पर खरीदा गया है, लेकिन इस समय अवधि के समाप्त होने के बाद निगम को अपनी इलेक्ट्रिक बसों के रखरखाव और मरम्मत का काम खुद ही करना होगा।
भविष्य की तैयारी
इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, प्रदेश सरकार सभी जिलों में ई-वर्कशॉप बनाने की योजना पर काम कर रही है। इन वर्कशॉप्स के जरिए, एचआरटीसी को अपनी इलेक्ट्रिक बसों के रखरखाव और मरम्मत में मदद मिलेगी, जिससे सेवा की गुणवत्ता और बसों की जीवनकाल में भी वृद्धि होगी।
निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश में ई-चार्जिंग स्टेशन और ई-वर्कशॉप निर्माण की प्रक्रिया अब तेजी से आगे बढ़ेगी, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा। वित्तीय सहायता के रूप में नाबार्ड की मंजूरी और एचआरटीसी को कार्य करने की अनुमति मिलने के बाद यह प्रोजेक्ट अब अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों के रखरखाव और मरम्मत की सुविधा भी स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होगी।