HNN/ सराहां
जिला सिरमौर की आरक्षित 55 पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में मंगलवार को गंगूराम मुसाफिर ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया। इस दौरान गंगूराम मुसाफिर के समर्थन में क्षेत्र के हजारों लोग जुटे। गंगूराम को टिकट न दिए जाने से नाराज लोगों ने जमकर राजीव शुक्ला मुर्दाबाद के नारे लगाए। इसके साथ ही हाईकमान मुर्दाबाद तथा वीरभद्र सिंह अमर रहे के नारों से पंडाल गूंजता रहा। गंगूराम मुसाफिर ने शनिवार को राजगढ़ में अपने समर्थकों के साथ बैठक कर पार्टी हाईकमान को 25 अक्टूबर तक टिकट बदलने का अल्टीमेटम दिया था।
जब हाईकमान ने टिकट नहीं बदला, तो मंगलवार को नामांकन प्रक्रिया के अंतिम दिन गंगूराम मुसाफिर ने 40 वर्षों के बाद एक बार फिर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन भरा। विदित रहे कि गंगूराम मुसाफिर 1982 में कांग्रेस के प्रत्याशी को हरा कर निर्दलीय विधायक चुने थे। उसके बाद से वह 6 बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते तथा विधायक बने। साथ ही कई विभागों के राज्य मंत्री व कैबिनेट मंत्री तथा विधानसभा अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे। वही अप्रैल माह में जब बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में दयाल प्यारी आई तो उसके बाद से ही पच्छाद कांग्रेस मंडल में उसका विरोध शुरू हो गया था।
मंडल में दयाल प्यारी का विरोध देखकर हिमाचल प्रभारी राजीव शुक्ला ने प्रदेश के 7 ब्लॉक कांग्रेस मंडल भंग किए, जिसमें पच्छाद मंडल भी था। जिससे इस बात के संकेत मिल गए थे कि दयाल प्यारी को टिकट मिलना तय था। एक सप्ताह पहले जब दयाल प्यारी को टिकट मिला तो गंगूराम मुसाफिर समर्थकों में भारी निराशा हुई तथा गंगूराम के समर्थकों ने गंगूराम मुसाफिर को एक बार फिर 1982 का इतिहास दोहराने के लिए निर्दलीय मैदान में उतरने को मनाया।
जिसके बाद मंगलवार को चार दशकों बाद फिर से आजाद प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया। पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से पांच प्रत्याशी नामांकन कर चुके हैं जिसमें से आज तक सबसे अधिक समर्थन गंगूराम मुसाफिर के नामांकन दाखिल करने के दौरान दिखा। अब देखना यह है, जिस तरह से गंगूराम मुसाफिर के समर्थन में मंगलवार को लोग जुटे हैं। उससे यह चुनाव एक बार फिर त्रिकोणीय स्थिति में पहुंच गया है।