लेटेस्ट हिमाचल प्रदेश न्यूज़ हेडलाइंस

सरकार पर कर्मचारियों और रिटायरीस की 15000 करोड़ की देनदारी- जगत नेगी

Ankita | 22 अप्रैल 2023 at 11:55 am

Share On WhatsApp Share On Facebook Share On Twitter

नेगी बोले कभी भी भड़क सकते हैं पेंशनर और कर्मचारी मगर……

HNN/ किन्नौर

80 हजार से अधिक के कर्ज की गर्त में धंस्ती जा रही प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के सामने अब कर्मचारियों और रिटायरीस की देनदारियों बड़ी चुनौती बन गई है। 2016 से मार्च 2021 तक प्रदेश में सेवानिवृत्त हुए करीब 46,000 कर्मचारियों को उनका हक् का पैसा नहीं मिल पाया है।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: Join WhatsApp Group

यह जानकारी देते हुए पेंशनर्स महासंघ के अतिरिक्त प्रदेश महासचिव जगत सिंह नेगी ने बताया कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों की सरकार पर करीब 6,000 करोड रुपए की देनदारी बकाया है। जिसमें रिवाइज्ड ग्रेजुएटी कंप्यूटेशन का पैसा लीव एनकैशमेंट तथा एरियर का बकाया है।

वहीं यदि बात की जाए रेगुलर कर्मचारियों की तो उन्हें अभी तक सैलरी का एरियर भी नहीं मिल पाया है। जगत सिंह ने बताया कि इस प्रकार प्रदेश सरकार के आगे सेवानिवृत्त कर्मचारियों और रेगुलर कर्मचारियों का करीब 15,000 करोड़ रुपए का बकाया बनता है।

अब सवाल यह उठता है कि जो कर्मचारी है उसको तो तनख्वाह मिल रही है मगर उस पेंशनर का क्या होगा जिसको अब सैलरी नहीं मिल रही है। जगत सिंह का कहना है कि 46,000 की संख्या कर्मचारियों का 15 से 50 लाख तक रिवाइज्ड पेंशन का पेंडिंग है। जिनमें सेवानिवृत्त हो चुके डॉक्टर, इंजीनियर आदि भी शामिल हैं।

अब सवाल यह उठता है कि सरकार यह बकाया धनराशि का भुगतान करेगी तो कैसे। जबकि ना तो अभी तक कोई नए रिसोर्स जनरेट हो पाए हैं और ना ही सरकार कोई टैक्स लगा सकती है। सरकार के पास लोन ही एक ऑप्शन बचती है। और यदि अब लोन की बात की जाए तो सरकार 80 हजार करोड़ से अधिक के कर्ज में पहले ही पहुंच चुकी है।

जगत सिंह का कहना है कि ऐसे में सरकार को चाहिए कि नए रिसोर्ट जनरेट करने की तरफ पूरा ध्यान लगाए। सरकार को और अधिक अपने खर्चों में कटौतीयां करनी होंगी। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पहले ही सीपीएस एडवाइजर ओएसडी यानी रेवडियो की बांट को बंद कर रिसोर्स को बढ़ाना होगा।

उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने पेंशनर्स की रिवाइज पेंशन का पैसाऔर कर्मचारियों के पैसे का समय पर भुगतान नहीं किया तो यह एक बड़ी समस्या भी बन जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि पेंशनर्स और कर्मचारी भड़क गए तो निश्चित ही सरकार को अपने हाथ ही खड़े करने पड़ जाएंगे।

बरहाल जब पोपीय से लेकर सेवानिवृत्त कर्मचारियों और कर्मचारियों के बहुत से भुगतान अभी बाकी है। और यह भुगतान भी अरबों में हो तो प्रदेश के विकास आम आदमी के हितों को लेकर सरकार किस प्रकार से वक्त निकाल पाएगी और कैसे उनको आर्थिक रूप से सक्षम बना पाएगी। सरकार के सामने 118 जैसी धारा बड़ी चुनौती है।

लीगल ब्यूरो बनाने के बाद भी इन्वेस्टर प्रदेश में आना नहीं चाह रहा है। जीत कर आए जनता के प्रतिनिधि जनता के बीच जाने में कतरा रहे हैं। पर्यटन को लेकर कोई भी योजना धरातल पर नहीं उतर पा रही है। सरकार के अलग-अलग विभागों में सैकड़ों की तादात में पद खाली पड़े हैं। ऐसे में जहां प्रदेश का कर्मचारी और पेंशनर्स फिलहाल सब्र का दामन थाम में बैठा है मगर जिस दिन यह सब्र का बांध टूट गया तो क्या होगा।

ऐसा नहीं है कि सरकार के पास आमदनी के स्त्रोत पैदा करने के लिए जरिया नहीं है। प्रदेश में खनिज और लवणों की भी भरमार है। सड़कों के अलावा वाटर ट्रांसपोर्टेशन, पवन ऊर्जा जैसे संसाधनों का भी दोहन नहीं हो पाया है। ऐसे बहुत से जरिए हैं साधन है संसाधन हैं मगर इच्छाशक्ति की बड़ी भारी कमी आज भी नजर आ रही है।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए अभी हमारे WhatsApp ग्रुप का हिस्सा बनें!

Join WhatsApp Group

आपकी राय, हमारी शक्ति!
इस खबर पर आपकी प्रतिक्रिया साझा करें