Himachalnow / चंबा
लेख राज ने टिकाऊ खेती के क्षेत्र में हासिल की नई ऊंचाईयां, प्रगतिशील किसान पुरस्कार से सम्मानित
चंबा जिले के प्रगतिशील किसान श्री लेख राज ने दिल्ली में आयोजित एक प्रतिष्ठित कृषि कार्यक्रम में सम्मान प्राप्त कर हिमाचल प्रदेश को गौरवान्वित किया है। ग्राम रोड़ी, डाकघर भद्रम, सरोल के निवासी लेख राज को मशरूम की खेती में उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए भारत प्रगतिशील किसान पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके द्वारा टिकाऊ और नवीन कृषि पद्धतियों को अपनाने और पहाड़ी क्षेत्रों में खेती के क्षेत्र में प्रेरणा स्थापित करने के लिए प्रदान किया गया।
श्री लेख राज ने सात साल पहले कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) चंबा के मार्गदर्शन में मशरूम खेती शुरू की। केवीके के प्रधान वैज्ञानिक और प्रमुख (सेवानिवृत्त) डॉ. राजीव रैना के नेतृत्व में उन्हें आधुनिक मशरूम खेती तकनीकों की बारीकियों से परिचित कराया गया। विशेषज्ञों, डॉ. जया चौधरी और डॉ. सुशील धीमान ने उन्हें स्पॉन उत्पादन, सब्सट्रेट तैयारी, और नियंत्रित पर्यावरणीय परिस्थितियों को बनाए रखने का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद उन्होंने बटन और ऑयस्टर मशरूम की खेती के उन्नत तरीकों को अपनाया, जिससे उनकी उपज और आय में भारी वृद्धि हुई।
मशरूम की खेती शुरू करने से पहले लेख राज मक्का और गेहूं की परंपरागत खेती से सालाना 1.5 से 2 लाख रुपये कमाते थे। मशरूम की खेती अपनाने के बाद उनकी सालाना आय बढ़कर 5 से 6 लाख रुपये हो गई। दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय प्रगतिशील किसान सम्मेलन में उन्हें ₹11,000 का नकद पुरस्कार, स्मृति चिन्ह और उत्कृष्टता का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। इस समारोह में राज्यसभा सांसद श्रीमती रेखा शर्मा और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव श्री तरूण श्रीधर ने भी भाग लिया।
पुरस्कार प्राप्त करते समय, श्री लेख राज ने केवीके चंबा के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनका मार्गदर्शन उनकी खेती को बदलने में सहायक था। उन्होंने कहा, “मेरी सफलता के पीछे केवीके की टीम का समर्पण और सहयोग है।” केवीके चंबा के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख डॉ. धरमिंदर कुमार ने राष्ट्रीय स्तर पर विचार के लिए उनके नाम की सिफारिश की।
श्री लेख राज ने अपनी व्यक्तिगत सफलता के अलावा, केवीके के तत्वावधान में अन्य किसानों को प्रशिक्षण और सलाह देने की जिम्मेदारी भी निभाई है। उनकी प्रेरक कहानी दिखाती है कि कैसे किसानों और कृषि संस्थानों के सहयोग से टिकाऊ आजीविका और कृषि में नवाचार को बढ़ावा दिया जा सकता है। उनका यह योगदान अन्य किसानों के लिए एक मिसाल है।