Himachalnow/शिमला
हिमाचल हाईकोर्ट ने गोबिंद सागर झील में अवैध मलबा फेंकने के मामले में राज्य सरकार और संबंधित विभागों को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि दोषियों पर केवल जुर्माना लगाना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें मलबा हटाने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए। कोर्ट ने मामले में गंभीरता दिखाते हुए अधिकारियों को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
किरतपुर-मनाली फोरलेन के निर्माण के दौरान झील और इसके आसपास अवैध रूप से मलबा फेंका गया था। कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरण अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, और वन मंडल अधिकारी से शपथपत्र मांगा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव और मंडल वन अधिकारी को अपने हलफनामे 4 दिसंबर तक प्रस्तुत करने को कहा है।
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कोर्ट ने आदेश दिया कि दोषियों से मलबा हटाया जाए। यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो अदालत की अवमानना माना जाएगा। सरकार ने बताया कि मामले में आठ एफआईआर दर्ज की गई हैं, परंतु ये सभी एक ही दिन में दर्ज की गईं। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई और पूछा कि मलबा हटाने की जिम्मेदारी केवल जुर्माना लगाने तक ही सीमित क्यों है।
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