HNN/शिमला
हिमाचल प्रदेश में सतलुज, रावी, ब्यास और चिनाब बेसिन के निचले क्षेत्रों में बर्फ की चादर 10.02% तक सिकुड़ गई है। रावी बेसिन में सबसे अधिक 22.42% तक बर्फ घटी है। ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं और नई झीलें बन रही हैं। सतलुज बेसिन में 2021 के मुकाबले 2022 में 321 नई झीलें बनी हैं।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान बढ़ रहा है, जंगलों में आग लगने से कार्बन अधिक मात्रा में उत्पन्न हो रही है। पर्यटन स्थलों पर क्षमता से अधिक वाहन और वायु प्रदूषण भी इसके मुख्य कारण हैं। हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद का जलवायु परिवर्तन केंद्र इस पर निरंतर अध्ययन कर रहा है।
किन्नौर, कुल्लू और लाहौल-स्पीति में ग्लेशियरों और झीलों के टूटने की स्थिति में बाढ़ से बचाव के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम लगेंगे। तीनों जिलों के उपायुक्तों को सारी स्थितियों का आकलन करने और स्थान चिह्नित करने के लिए कहा गया है। लाहौल-स्पीति के घेपन पीक में इसके लिए जगह चिह्नित की गई है।