शिमला
भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से समाज को मिलती है शांति और सद्भावना: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शिमला स्थित संभोटा तिब्बती स्कूल में आयोजित बुद्ध पूर्णिमा के समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ‘अप्प दीपो भव’ अर्थात ‘स्वयं अपने दीप बनो’ का मंत्र आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित करता है।
बुद्ध की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी प्राचीन काल में थीं। हिंसा, असहिष्णुता और अविश्वास से भरे इस युग में भगवान बुद्ध द्वारा दिया गया शांति, करुणा और सहिष्णुता का संदेश समाज को एक नई दिशा प्रदान करता है।
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बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व
मुख्यमंत्री ने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण हुआ था। यह दिन तीनों घटनाओं के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि करुणा, शांति और मानवता ही सच्चे धर्म के मूल स्तंभ हैं और इन मूल्यों को हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए।
विद्यालय से जुड़ी यादें भी की साझा
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि उन्होंने शिमला नगर निगम में 10 वर्षों तक पार्षद के रूप में कार्य किया है। इसी स्कूल के प्रांगण में उन्होंने अपने कई मित्रों के साथ क्रिकेट खेला है। उन्होंने इस अवसर पर विद्यालय के पूर्व छात्रों और शिक्षकों के साथ अपनी यादें भी साझा कीं।
सम्मानित हुए त्सेरिंग पलकत नेगी और पेमा दोरजे
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने त्सेरिंग पलकत नेगी और पेमा दोरजे को भारत-तिब्बत मैत्री अवार्ड से सम्मानित किया। इस अवसर पर तिब्बत, किन्नौर और लाहौल-स्पीति की सांस्कृतिक धरोहर पर आधारित रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गईं।
प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर विधायक हरीश जनारथा, महापौर सुरेंद्र चौहान, उप-महापौर उमा कौशल, तिब्बती निर्वासित सरकार के प्रमुख प्रतिनिधि लहाक्पा त्सेरिंग, उपायुक्त अनुपम कश्यप और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।
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