HNN/शिमला
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की दो जेलों में कैदियों की मानसिक स्वास्थ्य जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जेलों में समय-समय पर होने वाली चिकित्सा जांच में पता चला है कि हर सात में से एक कैदी अवसाद से ग्रसित है। इनमें अधिकतर 35 से 40 साल के युवा शामिल हैं।
जेल प्रशासन ने अवसाद ग्रसित कैदियों की काउंसलिंग शुरू की है, जिसमें मनोचिकित्सक डॉक्टर उनकी काउंसलिंग कर मनोबल बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा, योग और धार्मिक आस्था से जोड़कर भी अवसाद का निदान किया जा रहा है। जेल अधीक्षक सुशील ठाकुर ने बताया कि जेल में बंद कैदियों को अवसाद की बीमारी से बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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आदर्श केंद्रीय कारागार कंडा और जिला कारागार कैथू में जिला विधिक प्राधिकरण की ओर से मनोचिकित्सा शिविर लगाया गया, जहां मनोचिकित्सकों ने अवसाद रोग से ग्रसित करीब 70 बंदियों और कैदियों की स्वास्थ्य जांच की। जेल प्रशासन का उद्देश्य कैदियों को अवसाद से मुक्ति दिलाना और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाना है।
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