महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है ‘गृहणी की गौशाला’ योजना

HNN/ राजगढ़

खंड विकास अधिकारी राजगढ़ अरविंद गुलेरिया अक्सर अपनी अनूठी कार्यपद्धति के कारण चर्चा में बने रहते हैं। उनके द्वारा चलाया गया गृहणी की गौशाला अभियान ऐसा ही एक उदाहरण हैं। इस अभियान के अंर्तगत राजगढ़ विकास खंड की महिलाओं को मनरेगा के अंतर्गत गौशालाएँ बनवाने के लिये प्रेरित किया जा रहा है। गौरतलब है कि पशुपालन राजगढ़ क्षेत्र का एक प्रसिद्ध व्यवसाय है और ना केवल गाय बल्कि भेड़ और बकरी भी यहां प्रमुखता से पाली जाती रही है। गत दिनों क्षेत्र के कोटि पधोग में हुए जनमंच में भी गौशाला की मांग को कई महिलाओं ने प्रमुखता से रखा था।

यही कारण है कि गृहणी की गौशाला अभियान को महिलाओं का विशेष सहयोग मिल रहा है। गौरतलब है कि इससे पहले अरविंद गुलेरिया द्वारा चलाई गये ‘मेरा जोहड़ मेरा खेत’ अभियान को भी काफी सराहना मिली थी। खुद सूबे के मुख्यमंत्री द्वारा भी इस प्रकल्प को सराहा जा चुका था। बीडीयो राजगढ़ अरविंद गुलेरिया ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि भारत की जीडीपी में पशुपालन का योगदान करीब 4 प्रतिशत है। इसी को दृष्टि में रखकर ये अभियान चलाया जा रहा है। अब तक राजगढ़ विकास खंड में लगभग 70 से अधिक गौशालाएँ स्वीकृत हो चुकी हैं। आगे ये आँकड़ा काफी बढ़ने की उम्मीद है।

इस अभियान के अंतर्गत जरूरतमंद 18 से 28 स्क़वेयर मीटर बड़ी गौशाला स्वीकृत की जाएगी। जिसके लिये विभाग 60 से 80 हजार रुपये की राशि प्रदान करेगा। इस गौशाला की राशि पशुओं की संख्या पर निर्भर करेगी जिसके लिए अभ्यार्थी को पशुपालन विभाग की रिपोर्ट भी साथ लानी होगी। हमारी कोशिश है कि गौशाला की स्वीकृति लेने में महिलाओं को किसी जटिलता का सामना ना करना पड़े। गुलेरिया ने उम्मीद जताई कि राजगढ़ के दुर्गम क्षेत्र की जरूरतमंद महिलाओं को इस योजना का भरपूर लाभ मिलेगा और इसका दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा।

ग्राम पंचायत बोहल टालिया के युवा पार्षद विवेक पलाहा ने बताया कि गृहणी की गौशाला अभियान का फायदा सीधा ग्रामीण महिलाओं को हो रहा है। क्योंकि वे बिना किसी जटिल औपचारिकताओं के अपनी गौशाला सेंक्शन करवा रही हैं। विवेक ने उम्मीद जताई कि भविष्य में भी विकास खंड राजगढ़ में इसी तरह जमीनी स्तर पर जनहित के कार्य होते रहेंगे।


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