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Exclusive Report By: Shailesh Saini

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तुर्की द्वारा पाकिस्तान को समर्थन देने पर हिमाचल के सेब उत्पादक नाराज तुर्किये से आयात पर रोक लगाने की मांग

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शिमला

भारत-पाकिस्तान के मौजूदा तनाव के बीच तुर्की द्वारा पाकिस्तान को सैन्य सहायता देने से हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों में आक्रोश फैल गया है। हिमाचल प्रदेश फूल, फल एवं सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने केंद्र सरकार से मांग की है कि तुर्की से सेब समेत अन्य वस्तुओं के आयात पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए।

सेब उत्पादकों को हो रहा घाटा

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हरीश चौहान ने कहा कि तुर्किये से भारी मात्रा में सेब का आयात होने के कारण हिमाचल के सेब बागवानों की आमदनी पर सीधा असर पड़ रहा है।

  • उन्होंने कहा कि तुर्किये का सेब देश के बाजारों में भरा हुआ है, जिससे स्थानीय सेब को उचित दाम नहीं मिल रहे।
  • चौहान ने कहा कि तुर्किये ने पाकिस्तान का साथ देकर भारत के साथ विश्वासघात किया है।
  • उन्होंने सरकार से व्यापारिक समझौतों की समीक्षा कर तुर्किये से आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की।

कुलदीप राठौर का बयान

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने भी इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।

  • उन्होंने कहा कि जब तुर्किये में विनाशकारी भूकंप आया था, तब भारत ने ऑपरेशन दोस्त के तहत उनकी सहायता की थी।
  • एनडीआरएफ, दवाएं, ड्रोन और अन्य सहायता भेजकर भारत ने मानवता की मिसाल पेश की थी।
  • राठौर ने कहा, तुर्किये ने इस सहायता के बदले पाकिस्तान को सैन्य मदद देकर भारत की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है।
  • उन्होंने केंद्र सरकार से तुर्किये से व्यापारिक संबंधों की तुरंत समीक्षा करने और आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।

प्राकृतिक खेती के लिए विशेष पहल

राज्य सरकार ने चंबा जिले के पांगी क्षेत्र को राज्य का पहला प्राकृतिक खेती उपमंडल घोषित करने की घोषणा की है।

  • पांगी में कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) स्थापित किया जाएगा, जो किसानों की प्राकृतिक उत्पादों की पैकेजिंग, ग्रेडिंग और विपणन में मदद करेगा।
  • सरकार ने पांगी घाटी के किसानों के लिए 5 करोड़ रुपये का रीवाल्विंग फंड भी जारी करने की घोषणा की है।
  • इसके तहत जौ को 60 रुपये प्रति किलोग्राम के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदा जाएगा।

किसानों को मिलेगा लाभ

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि इस पहल से पांगी के किसानों को उनकी प्राकृतिक उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा।

  • सीईटीएआरएएनएफ प्रणाली के तहत किसानों के समूहों को विकसित कर प्रमाणित किया जाएगा।
  • इससे बड़े क्षेत्र में रसायन-मुक्त खेती को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी।

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