नाहन/शिमला
प्रवेश शुल्क से सुधरेगी पर्यटक सुविधा, स्थानीय युवाओं को मिलेगा रोजगार
प्रसिद्ध चूड़धार वन्यजीव अभयारण्य में अब पर्यटकों को प्रवेश के लिए शुल्क देना होगा। वन विभाग ने पर्यावरण संरक्षण, कचरा प्रबंधन और पर्यटक सुविधाओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से यह नई व्यवस्था लागू की है। खास बात यह है कि स्थानीय लोगों को इस शुल्क से पूरी तरह छूट दी गई है।
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पर्यटकों से वसूले जाएंगे शुल्क, मंदिर श्रद्धालुओं और स्थानीयों को राहत
वन विभाग के डीएफओ शाहनवाज के अनुसार, चूड़धार में लगातार बढ़ती पर्यटकों की संख्या को देखते हुए पर्यावरण पर दबाव कम करने और व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है। शुल्क से प्राप्त राशि का उपयोग ट्रेकिंग मार्गों पर शौचालय, पेयजल, विश्राम स्थल और सूचना केंद्र जैसी सुविधाओं को विकसित करने में किया जाएगा।
स्थानीय युवाओं के लिए भी खुले रोजगार के द्वार
नई व्यवस्था के तहत शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों के निवासियों, साथ ही मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को प्रवेश शुल्क से छूट दी गई है। वे चाहें तो स्वच्छता और संरक्षण हेतु स्वैच्छिक योगदान कर सकते हैं। अन्य आगंतुकों के लिए निम्न शुल्क निर्धारित किए गए हैं:
- हिमाचल के अन्य जिलों से मंदिर आने वालों के लिए ₹20
- बाहरी राज्यों से मंदिर आने वालों के लिए ₹50
- सभी ट्रेकर्स के लिए ₹100
- टेंट शुल्क ₹200 से ₹400
- घोड़ा/खच्चर शुल्क प्रति यात्रा ₹100
- विदेशी नागरिकों के लिए प्रवेश ₹200, टेंट ₹500
- मोबाइल कैमरा को छोड़कर अन्य कैमरों पर अलग से शुल्क
स्थानीय दुकानों को मिलेगा इको-शॉप का रूप
चूड़धार अभयारण्य के भीतर चल रही अस्थायी दुकानों को अब इको-शॉप के रूप में नीलाम किया जाएगा, जहाँ केवल पर्यावरण-अनुकूल सामग्री में हिमाचली पारंपरिक व्यंजन बेचे जा सकेंगे।
वन विभाग की मंशा पर्यावरण और पर्यटन में संतुलन साधने की
वन विभाग का मानना है कि इस व्यवस्था से चूड़धार में पर्यटन और पर्यावरण के बीच संतुलन बनेगा, पर्यटकों को सुविधा मिलेगी और स्थानीय समुदाय को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचेगा।
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