पिटाई का वीडियो भी हुआ वायरल, हेड कांस्टेबल की जांच पर भी सवालिया निशान
HNN/ नाहन
काला अंब थाना के हेड कांस्टेबल के गायब होने के मामले ने अब दूसरा मोड भी ले लिया है। मामले में पीड़ित पक्ष गांव नागल सुकेती निवासी अनीश पुत्र राजेश की पिटाई का वीडियो भी वायरल हो गया है।
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वायरल वीडियो में पीड़ित अनीश को पंजाब के करीब 6-7 लोग बुरी तरह से डंडे और लाठियों से पीट रहे हैं।
मामले को लेकर पीड़ित अनीश ने एक्सक्लूसिव बयान देते हुए बताया कि यह प्रकरण देवनी विक्रम बाग रोड का है। उसने बताया कि यह बड़ा संकरा रोड है जिस पर वह अपने लोड ट्रैक्टर को लेकर जा रहा था।
इसी दौरान उसके पीछे पंजाब की एक स्कॉर्पियो गाड़ी पास के लिए बार-बार हॉर्न मार रही थी। पीड़ित ने बताया कि पास देने की कहीं भी जगह नहीं थी और जब जगह मिली तो उसने साइड दी। पीड़ित अनीश ने बताया कि जैसे ही उसने साइड दी उन्होंने स्कॉर्पियो को ट्रैक्टर के आगे खड़ा कर उसके साथ गाली-गलौच करना शुरू कर दिया।
यही नहीं उसको ट्रैक्टर से खींचकर नीचे उतरा और बड़ी ही बेरहमी के साथ उसको बड़े-बड़े लाठी डंडों के साथ बर्बरता से पीटा। इसी दौरान वहां से गुजर रहे एक व्यक्ति ने उसकी चीख पुकार सुनकर पूरे प्रकरण का वीडियो भी बनाया। बताया तो यह भी क्या है कि इसी दौरान अनीश के परिजन भी वहां पहुंच गए थे।
उन्होंने स्कॉर्पियो का पीछा किया। इसके बाद स्कार्पियो सवार पंजाब के बदमाशों ने उनके परिजनों के साथ भी मारपीट की। यह घटना बीते 8 जून शाम की है। घटना के बाद पीड़ित पक्ष काला अंब थाना में अपनी रिपोर्ट दर्ज करने पहुंचा।
मामले की जांच का जिम्मा थाना प्रमुख के द्वारा हेड कांस्टेबल जसवीर सिंह को दिया गया। जसवीर सिंह के द्वारा 8 तारीख को अंतर्गत धारा 341, 323, 147, 148, 149 आईपीसी में दर्ज कर दिया। अब हैरान कर देने वाला विषय तो यह है कि हेड कांस्टेबल को पिटाई का वीडियो दिखाए जाने के बावजूद उसके द्वारा मामला बड़ी ही हल्की धाराओं में दर्ज किया गया।
मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार सभी धाराएं सही है मगर एक साधारण लड़ाई भी होती है तो उसमें भी 506बी यानी जान से मारने की धमकी का मामला दर्ज होता है। बावजूद इसके विवेचना अधिकारी जसवीर सिंह के द्वारा बर्बरता से हुई पिटाई के वीडियो के बावजूद मामला 506 बी आईपीसी में दर्ज नहीं किया गया।
पीड़ित पक्ष ने जांच पर सवालिया निशान लगाते हुए इसकी शिकायत उच्च अधिकारी से भी की। पिटाई के खौफनाक वीडियो को देखने के बाद जिला पुलिस कप्तान ने हेड कांस्टेबल को पीड़ित पक्ष की शिकायत के बाद मुख्यालय बुलाया।
जिला पुलिस कप्तान के द्वारा इस पूरे प्रकरण में निष्पक्ष रूप से जांच करने के लिए विवेचना अधिकारी को कहा गया। हैरान कर देने वाली बात तो यह भी है कि विवेचना अधिकारी के द्वारा ना तो मौका फर्द बनाई गई थी और ना ही पीड़ित पक्ष के बयान के अनुसार कार्रवाई की गई थी।
मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सवालिया निशान लगने के बाद मंगलवार देर शाम 11 जून को हेड कांस्टेबल के द्वारा खुद का वीडियो चलती हुई गाड़ी में बनाकर अपने उच्च अधिकारी पर गंभीर आरोप लगा दिए। जसवीर सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि उनके उच्च अधिकारी मामले में एक और धारा जोड़ने के लिए दबाव बना रहे थे।
इस पूरे प्रकरण पर हेड कांस्टेबल के द्वारा अपने उच्च अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए नौकरी से त्यागपत्र देने की बात कहते हुए वीडियो वायरल कर दिया। पीड़ित पक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि विवेचना अधिकारी जसवीर सिंह और थाना प्रभारी के द्वारा उन्हें थाने में बुलाकर उन पर कंप्रोमाइज किए जाने का दबाव भी बनाया गया।
यही नहीं पीड़ित पक्ष ने साफ तौर से मना किया है कि उन्होंने ना तो किसी नेता की सिफारिश की है और ना ही किसी अधिकारी की। पीड़ित पक्ष ने कहा कि उन्होंने उच्च अधिकारी से सिर्फ निष्पक्ष रूप से जांच करने के लिए निवेदन किया था। उन्होंने हेड कांस्टेबल जसवीर सिंह की जांच पर भी प्रश्न चिन्ह लगाते हुए मामले की निष्पक्ष जांच के लिए कहा था।
बरहाल मामला अब तूल पकड़ चुका है। पीड़ित पक्ष का यह भी आरोप है की जसवीर सिंह की थाना में भूमिका हमेशा संदिग्ध रही है। हेड कांस्टेबल पर पहले भी मामले रफा दफा करवाने के आरोप लगे हैं।
बरहाल पूरे प्रकरण के बाद सवाल यह भी उठना है कि क्या जांच अधिकारी जसवीर सिंह विभाग पर दबाव बनाकर पूर्व में हुई शिकायतों से बचना चाहता है या फिर इस प्रकरण में जांच में बरती गई कोताही को लेकर खुद को बेकसूर साबित करना चाहता हे। मामला अब बड़ी जांच का बन चुका है।
जानकारी तो यह भी है कि शिमला से उच्च अधिकारी भी नाहन पहुंच चुके हैं। एक और जसवीर सिंह बीते कल से गायब है। इस पूरे प्रकरण की सच्चाई क्या है यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा। मगर पीड़ित पक्ष इस प्रकरण को लेकर प्रेस में बयान देने के लिए भी कह रहा है।
उधर, जिला पुलिस कप्तान रमन कुमार मीणा ने बताया कि उनके द्वारा हेड कांस्टेबल को किसी भी तरह से अंडर प्रेशर नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा केवल निष्पक्ष और कानून के मुताबिक जांच करने के लिए कहा गया था।
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