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प्रदेश के फार्मा हब को बदनाम करने वाले साजिशकर्ताओं के गिरेबान तक पहुंचे दवा नियंत्रक के जांबाज

घटिया रॉ मैटेरियल और फर्जी लेबलिंग के मास्टरमाइंड गिरफ्तारी के डर से हुए अंडरग्राउंड

HNN/ नाहन

ब्रांडेड कंपनी के फर्जी लेबल लगाकर प्रदेश की फार्मा कंपनियों को घटिया एक्सीसिएंट और रॉ मैटेरियल सप्लाई करने वाले मास्टरमाइंड गिरफ्तारी के डर से अंडर ग्राउंड हो गए हैं। बावजूद इसके इस अवैध कारोबार में संलिप्त तीन प्रमुख मास्टरमाइंड राज्य दवा नियंत्रण के स्पेशल अधिकारियों की जांच टीम के रडार पर आ चुके हैं।

सूत्रों की माने तो दिए गए नोटिस के जवाब के ना मिलने के बाद आप इनकी गिरफ्तारी को लेकर जाल बिछाया जाना शुरु हो चुका है। गौरतलब हो कि लंबे अरसे से देश और विदेश में दूसरे नंबर पर आने वाले प्रदेश के फार्मा हब में बनी दवाइयों पर सब स्टैंडर्ड, नकली, घटिया आदि जैसे गंभीर आरोप लग रहे थे।

प्रदेश के फार्मा जगत से जुड़े नामी गिरामी उद्योगपति भी लग रहे प्रश्न चिन्हों को लेकर परेशान चल रहे थे। वहीं राज्य दवा नियंत्रण के अधिकारी भी इस चीज को लेकर परेशान थे कि आखिर नियमित निरीक्षण और प्रयोगशालाओं में जांच परख के बाद भी दवाओं के सैंपल क्यों फेल हो रहे हैं।

जबकि जहां की लैब में किए गए परीक्षण के दौरान यह बेहतर मानक पाई जाती थी। मगर जैसे ही यह दवा अन्य राज्यों में बैच के आधार पर परीक्षित की जाती थी तो अधिकतर दवाएं सब्सटेंडर्ड हो जाती थी। पांवटा साहिब की एक नामी-गिरामी कंपनी के बड़े लाॅट के रिफ्यूज होने के बाद शक की सुई जेआरएफ कंपनी के लेबल पर लिए गए एक्सीसिएंट पर जा टिकी।

चूंकि यह एक मल्टीनेशनल कंपनी है और ब्रांडेड रॉ मेटेरियल ही तैयार करती है। लिहाजा राज्य दवा नियंत्रक का कार्यभार देख रहे हैं मनीष कपूर ने अपने 5 द बेस्ट अधिकारियों की टीम का गठन कर मामले की तह तक जाने के आदेश दे दिए। इस टीम में शामिल सभी दवा निरीक्षकों ने अपने-अपने स्तर पर जब पूरे मामले की परतें उधेडी तो पता चला कि इस पूरे खेल का ताना-बाना चंडीगढ़ के साथ लगते पंचकूला में बुना गया था।

शातिर अंकुश और अंकित सिंघला ने केसी ओवरसीज के नाम से फर्म बनाकर अपने मंसूबों को अंजाम देना शुरू किया। इन्होंने इस खेल में तीसरे व्यक्ति एलाइड फार्मा बद्दी के विक्रम को भी शामिल कर लिया। इन्होंने जेआरएस कंपनी से पंजाब हिमाचल और हरियाणा के लिए मैटेरियल्स सप्लाइ हेतु एजेंसी ले ली।

इसके साथ-साथ इन लोगों ने बद्दी में अपना गोदाम भी ले लिया था। इन प्रमुख तीनों जालसाजों के द्वारा जेआरएस कंपनी से राॅ मटेरियल लिया जाता है। चूंकि यह रॉ मैटेरियल काफी महंगा और ब्रांडेड होने के साथ-साथ अधिकतर कंपनियां इसकी डिमांड करती हैं। इन तीनों शातिरों ने इस कंपनी के ओरिजिनल बिल की आड़ में एलाइड फार्मा के साथ मिलकर डुप्लीकेट लेबल बनाकर मिस ब्रांड को ब्रांडेड बना फार्मा कंपनियों को जमकर लूटा।

यह सब बिल्कुल वैसे ही है जैसे यदि कोई लोकल ब्रांड अथवा मिस ब्रांड राॅ मेटेरियल 100 का है तो जेआरएस कंपनी के मेटेरियल की कॉस्ट 1000 पर है यह सिर्फ उदाहरण के तौर पर बताया गया है। इस प्रकार केसी ओवरसीज और एलाइड फार्मा ने मिलकर ना जाने कितने करोड़ों रुपए का खेल खेला है।

ड्रग डिपार्टमेंट के निरीक्षण दल ने इस पूरे खेल का पर्दाफाश कर दिया है हालांकि कुछ कड़िया इसमें और जोड़नी बाकी है मगर उससे पहले शातिर खिलाड़ी भूमिगत हो चुके हैं। वहीं हिमाचल नाउ न्यूज़ के हाथ और भी कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं जिससे इनके और अन्य काले कारनामे भी पता चले हैं।

वहीं एचडीएमए के राज्य चीफ एडवाइजर सीएस पुष्करणा ने कहा कि दवा के साथ खिलवाड़ करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इन आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर इन पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही अमल में लाई जाए।

वहीं राज्य दवा नियंत्रक का कार्यभार देख रहे मनीष कपूर का कहना है कि इस मामले में 2 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं तीन आरोपी भी जल्द गिरफ्त में होंगे। वहीं प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने कहा कि दवाओं के साथ टेंपरिंग और नकली दवाई सहित अन्य दवाओं के साथ की जाने वाली जालसाजी बर्दाश्त से बाहर है।

आरोपियों पर कड़ी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि ड्रग डिपार्टमेंट के अधिकारी बेहतर कार्य कर रहे हैं निश्चित ही प्रदेश का फार्मा हब एक बेहतर व्यवस्था के साथ फिर से ना केवल देश में बल्कि विदेशों में भी अपना खोया हुआ वजूद पा लेगा।


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