Kharmas 2024: आइए जानते हैं कि शुभ फलों की प्राप्ति को लिए खरमास में क्या-क्या करना चाहिए और कैसे करें सूर्य देव की उपासना
खरमास का समय और महत्व
15 दिसंबर 2024 से खरमास की शुरुआत हो रही है, जो मकर संक्रांति के दिन समाप्त होगा। हिंदू धर्म में खरमास को एक विशेष समय माना जाता है, जब किसी भी प्रकार के शुभ या मांगलिक कार्यों को नहीं किया जाता है। इसकी विशेष वजह यह है कि खरमास के दौरान सूर्य देव का तेज कम हो जाता है, जिससे पृथ्वी पर उनका तप भी घट जाता है।
जब सूर्य देव धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो खरमास की स्थिति उत्पन्न होती है। यह समय वर्ष में दो बार आता है और आमतौर पर एक माह की अवधि तक चलता है। इस दौरान सूर्य देव की पूजा और अन्य खास कार्यों को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
खरमास के दौरान क्या नहीं करें
खरमास के समय में शुभ कार्यों को टालने की सलाह दी जाती है, जैसे कि विवाह, गृह प्रवेश, या अन्य मांगलिक कार्य। इसे सूर्य देव के कमजोर होने का कारण माना जाता है। अतः इस अवधि में कोई भी नया शुभ कार्य आरंभ नहीं करना चाहिए।
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खरमास के दौरान क्या करें
हालांकि खरमास में कुछ विशेष कार्य किए जा सकते हैं, जिनसे पुण्य और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस समय सूर्य देव की पूजा और मंत्रों का जाप करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। इससे सूर्य की स्थिति मजबूत होती है, और इसके फलस्वरूप जीवन में समृद्धि, सुख-सौभाग्य, और करियर में तरक्की मिल सकती है।
खरमास में सूर्य देव की पूजा और मंत्रों का जाप
खरमास में सूर्य देव की पूजा करने से खास लाभ मिलते हैं। इसके साथ ही सूर्य देव के कुछ शक्तिशाली मंत्रों का जाप करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। इसके अतिरिक्त, व्यवसाय और करियर में भी सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। आइए जानते हैं सूर्य देव के कुछ प्रभावशाली मंत्रों के बारे में:
- ऊँ आकृष्णेनेति मंत्र
सूर्य देव के तेज और शक्ति को प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जाप करें:
“ऊँ आकृष्णेनेति मंत्रस्य हिरण्यस्तूपऋषि, त्रिष्टुप छनद:
सविता देवता, श्री सूर्य प्रीत्यर्थ जपे विनियोग:” - ऊँ आ कृष्णेन राजसा वत्र्तमानों निवेशयन्नमृतं मत्र्य च
इस मंत्र के जाप से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है:
“ऊँ आ कृष्णेन राजसा वत्र्तमानों निवेशयन्नमृतं मत्र्य च।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।” - ऊँ आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्न: सूर्य प्रचोदयात्
यह मंत्र सूर्य के साथ अपनी साधना को जोड़ने के लिए है:
“ऊँ आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्न: सूर्य प्रचोदयात्।” - ऊँ सप्ततुरंगाय विद्महे सहस्त्रकिरणाय धीमहि तन्नो रवि: प्रचोदयात्
यह मंत्र सूर्य देव की शक्ति को जागृत करता है:
“ऊँ सप्ततुरंगाय विद्महे सहस्त्रकिरणाय धीमहि तन्नो रवि: प्रचोदयात्।”
सूर्य देव के शक्तिशाली मंत्र
इसके अलावा, कुछ विशेष मंत्र हैं जिन्हें सूर्य देव के नियमित जाप से जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति आती है:
- ॐ सूर्याय नमः
- ॐ आदित्याय नमः
- ॐ रवेय नमः
- ॐ मित्राय नमः
- ॐ उषाकराय नमः
- ॐ भानवे नमः
- ॐ दिनमणाय नमः
- ॐ मार्तंडाय नमः
- ॐ पूषणे नमः
निष्कर्ष
खरमास का समय विशेष रूप से सूर्य देव की उपासना करने और उनके मंत्रों का जाप करने के लिए उपयुक्त होता है। इस दौरान किए गए पुण्य कार्य व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं और सूर्य की कृपा से जीवन में सुख-सौभाग्य व समृद्धि का संचार होता है। इस समय को शुभ कार्यों को स्थगित करने के बजाय, आत्मिक उन्नति और साधना के लिए प्रयोग करना चाहिए।
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