HNN/ नाहन
हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में इस व्रत को काफी शुभ माना जाता है। इस बार करवा चौथ की तिथि को लेकर कई लोग कंफ्यूज हैं। कई लोग दुविधा में हैं कि इस बार करवाचौथ 13 अक्तूबर को मनाया जाएगा या फिर 14 अक्तूबर को। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार करवा चौथ 13 अक्तूबर, गुरुवार को रात 01 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगा और 14 अक्तूबर को रात 03 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगा।
चूंकि उदयातिथि 13 अक्तूबर में ही पड़ रही है इसलिए करवा चौथ का व्रत 13 अक्तूबर को ही रखा जाना चाहिए। बता दें, इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन निर्जला रहकर बहुत कठिन व्रत रखती हैं। सुबह सास द्वारा दी गई सरगी खाकर शुरू हुआ करवा चौथ व्रत रात को चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद पति के हाथ से पानी पीकर खोला जाता है। इस व्रत को बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है, इसलिए इसे पूरी निष्ठा से और नियम पूर्वक करना चाहिए।
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करवा चौथ के दिन पूजा मुहूर्त
करवा चौथ पूजा मुहूर्त- शाम 06 बजकर 17 मिनट से शाम 07 बजकर 31 मिनट तक।
करवा चौथ व्रत समय- सुबह 06 बजकर 32 मिनट से रात 08 बजकर 48 मिनट तक।
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – अक्तूबर 13, 2022 को सुबह 01 बजकर 59 मिनट से शुरू।
चतुर्थी तिथि समाप्त – अक्तूबर 14, 2022 को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर खत्म।
करवा चौथ शुभ योग
करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 54 मिनट से सुबह 05 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। अमृत काल शाम 4 बजकर 8 मिनट से 5 बजकर 50 मिनट कर रहेगा।
करवा चौथ की पूजन विधि
करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। फिर सास द्वारा दिया हुआ भोजन करें और निर्जला व्रत का संकल्प लें। यह व्रत सूर्य अस्त होने के बाद चन्द्रमा के दर्शन करके ही खोलना चाहिए और बीच में जल भी नहीं पीना चाहिए। संध्या के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें। इसमें 10 से 13 करवे (करवा चौथ के लिए ख़ास मिट्टी के कलश) रखें। चन्द्रमा निकलने से लगभग एक घंटे पहले पूजा शुरू की जानी चाहिए।
अच्छा हो कि परिवार की सभी महिलाएं साथ पूजा करें। पूजा के दौरान करवा चौथ कथा सुनें या सुनाएं। चन्द्र दर्शन छलनी के द्वारा किया जाना चाहिए और साथ ही दर्शन के समय अर्घ्य के साथ चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए। चन्द्र-दर्शन के बाद बहू अपनी सास को थाली में सजाकर मिष्ठान, फल, मेवे, रूपये आदि देकर उनका आशीर्वाद लें।
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