सिरमौर को: रेल बनेगी लोकसभा में मोदी सरकार की बड़ी चुनौती

डबल इंजन की रही सरकार, सांसद भी रहे भाजपा के फिर भी मुद्दा बरकरार

HNN/नाहन

सिरमौर को रेल के मुद्दे पर सवार होकर लगातार दिल्ली पहुंचे सांसदों को मोदी सरकार आज तक रेल से नहीं जोड़ पाई है। ऐसे में जल्द होने जा रहे लोकसभा चुनाव में भाजपा का संकल्प पत्र षोशा कहीं ना कहीं कम से कम सिरमौर में जनता के गले से नहीं उतर पाएगा। 2014 से 2024 तक लगातार केंद्र में काबिज रहे शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद सिरमौर को रेल नहीं दिलवा पाए।

ऐसा नहीं है कि सांसद रहे वीरेंद्र कश्यप तथा मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप सिरमौर को रेल की मांग को लेकर चुप रहे। बल्कि दोनों सांसदों ने कई बार केंद्र सरकार के समक्ष सिरमौर को रेल दिलाए जाने का मुद्दा उठाया। बावजूद इसके केंद्र की मोदी सरकार पूर्व में हुए चुनाव में भारी बहुमत लेने के बावजूद भी सिरमौर के इस प्रमुख मुद्दे पर चुप रही।

गिरीपार विशेष वर्ग आरक्षण पर केंद्र के दिग्गज नेताओं ने भले ही वोटो की राजनीति के तहत सिरमौर को बांटने की कोशिश करी हो मगर विकास के मुद्दे पर जहां रेल इस जिला सहित पूरे प्रदेश के लिए वरदान साबित होती उस पर केंद्र के दिग्गज भाजपा नेताओं ने कोई आश्वासन नहीं दिया। सिरमौर को रेल न केवल सामरिक दृष्टि से बल्कि किन्नौर से लेकर शिमला जिला के सेब के लिए यह रेल संजीवनी साबित होती।

पांवटा साहिब-शिलाई फोरलेन, रोहडू, जुब्बल, कोटखाई और उसके साथ लगते उत्तरांचल की सेब बेल्ट को भी ईजी अप्रोच करता है। ऐसे में यदि पांवटा साहिब में रेल का मुख्य जंक्शन बनता है तो निश्चित ही न केवल प्रदेश के किसानों का सेब बल्कि सिरमौर का टमाटर , लहसुन, मटर देश की बड़ी मंडियों तक सही समय पर पहुंच सकता है। यही नहीं डीआरडीओ तथा देश की स्पेशल फोर्सज का ट्रेनिंग सेंटर भी सिरमौर में है।

जिसका सामरिक महत्व भी बढ़ जाता है। बावजूद इन सबके भले ही अंग्रेजों ने रेल को शिमला जैसे पहाड़ पर पहुंचा दिया हो मगर दुनिया में सबसे बड़ी पार्टी होने का परचम लहराने वाली भाजपा सिरमौर को रेल तक नहीं दे पाई है। यही नहीं दून क्षेत्र का किसान अब यह भी समझ चुका है कि धौला कुआं में बनाया गया आईआईएम उनके लिए केवल और केवल सफेद हाथी साबित हुआ है।

यहां के किसान अब समझ चुके हैं कि किस तरीके से उनके रिसर्च की सैकड़ो हेक्टर उपजाऊ और कीमती जमीन आईआईएम के नाम ट्रांसफर कर दी गई। जबकि आईआईएम गिरी नगर सहित पांवटा साहिब के ऐसे क्षेत्र में लगाया जा सकता था जहां की जमीन का कोई उपयोग नहीं है। सिरमौर के श्री रेणुका जी, गिरी, जलाल डेल्टा में अंतरराष्ट्रीय स्तर के एयरपोर्ट बनाए जाने तक का प्लेटफार्म उपलब्ध है बावजूद इसके डबल इंजन वाली रही सरकार कोई विशेष योजना बना पाने में भी नाकाम रही।

अंतरराष्ट्रीय स्तर के श्री रेणुका जी वेट लाइन एरिया तथा चूड़धार, हरिपुरधार क्षेत्र में कुल्लू शिमला से भी अधिक पर्यटन की संभावनाएं थी। बावजूद इसके कोई बड़ी विशेष योजना केंद्र की मोदी सरकार यहां नहीं बन पाई। दशकों पुराने सिरमौर को रेल के मुद्दे पर केवल और केवल चुनावी समय में आश्वासन मिलते हैं बाद में यह मुद्दा 5 सालों के लिए गुम हो जाता है।

सिरमौर में इस समय रेल का मुद्दा धीरे-धीरे फिर से हवा पकड़ रहा है। जाहिर है जहां राज्यसभा चुनाव के बाद जो चरित्र केंद्र की भाजपा ने हिमाचल में प्रस्तुत किया है, उसका बड़ा साइड इफेक्ट भले ही सियासी गलियारों पर न पड़ा हो मगर प्रदेश की जनता पर इसका बड़ा विपरीत असर पड़ा है।

न केवल आम जनता बल्कि कर्मचारी वर्ग तक ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि फिर जनता के द्वारा सरकार चुनने का मतलब ही क्या रह जाता है। जब सब कुछ खरीद फरोख्त से चल जाता है। बरहाल सिरमौर को रेल का बड़ा मुद्दा अब भाजपा के लिए गले की फांस बनेगा। देखना यह होगा की कांग्रेस इस मुद्दे को किस हद तक कैश कर पाती है।


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