शोक के चलते जुन्गा में इस बार नहीं मनाया जाएगा दशहरा उत्सव

राजा वीर विक्रम सेन के निधन से समूचे क्योंथल क्षेत्र में एक वर्ष तक रखा गया शोक

HNN/ शिमला

कालांतर से जुन्गा में मनाए जाने वाला जिला स्तरीय दशहरा उत्सव इस बार नहीं मनाया जाएगा। बता दें कि  बीते माह तत्कालीन क्योंथल रियासत के 78वें शासक राजा वीर विक्रम सेन का निधन हुआ था जिसके चलते समूचे क्योंथल क्षेत्र में एक वर्ष तक शोक रखा गया है इस दौरान क्षेत्र में  कोई भी कोई भी देव संबधी कार्य व उत्सव नहीं होगें। स्थानीय पंचायत प्रधान बंसी कश्यप ने बताया कि राजा वीर विक्रम सेन के निधन के कारण इस वर्ष जुन्गा में जिला स्तरीय दशहरा उत्सव नहीं मनाया जाएगा।

जिस बारे पंचायत द्वारा प्रस्ताव पारित करके  एसडीएम ग्रामीण शिमला को भेजा गया है । देव जुन्गा के प्रमुख पुजारी राम कृष्ण मेहता ने बताया कि कालांतर से ही क्योंथल रिसायत के शासक को लोग देवता स्वरूप मानते हैं अर्थात देव समाज में राजा को लोग अपना चौथा इष्ट मानते हैं। यह परंपरा वर्तमान में भी कायम है। बताया कि  देव समाज की परंपरा के अनुसार राजा के निधन से समूची तत्कालीन रियासत में एक वर्ष का शोक रखा गया है।

इस दौरान दहशरा, दिवाली इत्यादि पर्व के अतिरिक्त देव संबधी कार्य नहीं होगेें। इसी वजह से इस बार जुन्गा में दशहरा उत्सव भी मनाया जाएगा। रामकृष्ण मेहता ने बताया कि देवता  संबधी कार्यों का जब कोई समाधान नहीं निकल पाता। उस स्थिति में लोग अंतिम अपील राजा के दरबार में करते हैं और देव समाज का अंतिम निर्णय राजा का आज भी माना जाता है। राजपरिवार के सदस्य पंकज सेन ने बताया कि अतीत से ही दशहरा के दौरान राजमहल से रघुनाथ की छड़ी यात्रा ढोल नगाड़ें साथ मेला मैदान में लाई जाती है।

जहां पर लोग रघुनाथ का आर्शिवाद प्राप्त करते हैं। परंपरा के अनुसार सांय को क्योंथल रिसासत के राजा द्वारा रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुलते को आग लगाई जाती है। उसके उपरांत रघुनाथ की पालकी को वापिस राजमहल ले जाया जाता है। उन्होने बताया कि राजा के निधन होने से इस बार दशहरा उत्सव नहीं मनाया जाएगा। नायब तहसीलदार जुन्गा ललित कुमार ने इसकी पुष्टि की है।


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