30 दिनों में 4000 टन धान खरीद कर प्रदेश सरकार ने किसानों को दी बड़ी राहत

अनाज मंडी पांवटा साहिब में किसानों ने पकड़ा उत्तराखंड का धान

किसान सभा ने कहा- हमें ऐतराज नहीं पहले हमारे किसानों का बिक जाए धान फिर बाहरी..

HNN / पांवटा से तपेंद्र ठाकुर की रिपोर्ट

पांवटा साहिब के हरिपुर टोहाना में बनाई गई अनाज मंडी इन दिनों अनाज मेले में बदली हुई है। कृषि उपज मंडी समिति द्वारा एफसीआई के माध्यम से पिछले 30 दिनों के भीतर ही करीब 4000 टन धान खरीद कर किसानों को बड़ी राहत पहुंचाई गई है। मगर इस खरीद में जहां किसान सरकार का आभार व्यक्त कर रहा है तो वही उत्तराखंड का धान स्थानीय किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है। स्थानीय किसान प्रीत मोहन का कहना है कि पहले उन्हें धान बेचने के लिए हरियाणा के खिजराबाद जाना पड़ता था।

अब प्रदेश सरकार ने उनके अपने गृह जिला में ही धान खरीदने की सुविधा दे दी है। किसानो का कहना है कि धान बेचने में उन्हें बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का धान स्थानीय व्यापारियों के माध्यम से यहां पर बेचा जा रहा है, जिसकी वजह से स्थानीय किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वही हिमाचल किसान सभा जिला सिरमौर के सचिव गुरविंदर सिंह का कहना है कि प्रदेश सरकार को एफसीआई के अलावा अपनी अन्य एजेंसियों से भी खरीद करवाई जानी चाहिए थी।

उन्होंने कहा कि एफसीआई से धान खरीद को लेकर सरकार ने जल्दबाजी में फैसला लिया है। गुरविंदर सिंह का कहना है कि सरकार ने पहले कहा था कि धान सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन भी खरीदेगा, मगर ऐसा हुआ नहीं। इसकी बड़ी वजह सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन के पास स्टाफ ही नहीं है। किसानों ने खरीद पोर्टल मे भी खामियां बताते हुए इसे जल्द और अधिक परिष्कृत बनाने की मांग रखी है। बड़ी बात तो यह है कि किसी भी किसान ने सरकार के खिलाफत नहीं की बल्कि सरकार का स्वागत करते हुए कुछ कमियों को जल्द सुधारने की अपील भी की है।

बता दें कि हाल ही में ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने किसानों को आश्वस्त किया था कि उनका सारा का सारा धान सरकार एफसीआई के माध्यम से खरीदेगी। इसके लिए पांवटा साहिब के हरिपुर टोहाना में एफसीआई सहित एपीएमसी का टेंपरेरी खरीद सेंटर बनाकर 24 घंटे में किसानों का धान खरीदा जा रहा है। बड़ी बात तो यह है कि किसानों को उनके धान का मूल्य भी 24 घंटे के भीतर उपलब्ध करवा दिया जा रहा है। हालांकि सरकार ने इस खरीद की समय सीमा को 16 अक्टूबर से 30 नवंबर तक रखा है बावजूद इसके शिमला एफसीआई के रीजनल मैनेजर अनिल कुमार ने कहा कि जब तक किसान का धान चल रहा है तब तक खरीद जारी रहेगी।

एफ़सीआई मैनेजर ने कहा कि 7 नवंबर तक 4000 टन धान की खरीद की जा चुकी है। बरहाल एक और जहां देश का एक बड़ा हिस्सा किसान आंदोलन में कूदा हुआ है तो वहीं हिमाचल प्रदेश का किसान अपनी सीमित उपज के क्रय और विक्रय को लेकर प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त करता हुआ नजर आ रहा है। हालांकि कुछ खामियां सरकार के पोर्टल पर नजर आ रही हैं संभवत इन खामियों को दूर होते ही कम से कम किसानों की ओर से सरकार संतुष्ट हो जाएगी।

वही किसानों ने भले ही बाहरी राज्यों से आने वाले धान आदि की खरीद का विरोध किया है मगर उन्होंने यहां धान बेचने आने से मना भी नहीं किया है। स्थानीय किसानों का कहना है पहले उनका धान बिक जाए फिर बाहरी राज्य अपना धान बेचने आ सकते हैं। सवाल तो यह उठता है कि यह सुविधा सरकार ने अपने प्रदेश के किसानों को राहत पहुंचाने के लिए शुरू की है ऐसे में यदि बाहरी राज्य का किसान यहां आना शुरू हुआ तो यह सरकार के लिए एक बड़ा सिर दर्द भी साबित हो सकता है। हैरानी तो इस बात की है की पांवटा कृषि उपज मंडी में बाहरी राज्य से धान आने से पहले उन्हें एंट्री पॉइंट पर क्यों नहीं रोका जाता है।


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