कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर प्रति बैरल रेट कम हुए हैं। बावजूद इसके भारत में तेल के दामों में लगातार बढ़ोतरी जारी है। बीते 13 दिनों में 11वीं बार पेट्रोल और डीजल के दामों में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों को लेकर आम आदमी की कमर टूट चुकी है। सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के द्वारा आज रविवार को भी 80-80 पैसे प्रति लीटर तेल के दामों में इजाफा किया गया है। लोग इस बात को लेकर हैरान हैं कि जब पांच राज्यों में चुनाव चल रहे थे उस दौरान कच्चे तेल के रेट भी आसमान छू रहे थे।
बावजूद इसके पेट्रोल और डीजल के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी। चुनाव खत्म होने के बाद से तेल कंपनियों के द्वारा लगातार 80-80 पैसे पिछले 13 दिनों में बढ़ाए गए हैं। बढ़े हुए तेल दामों के बाद बाजार पर इसका असर भी दिखना शुरू हो चुका है। ट्रांसपोर्टेशन महंगा होते ही लोगों की रसोई पर महंगाई की मार असर दिखाने लगी है। हालांकि कांग्रेस के द्वारा तेल की कीमतों के ऊपर विरोध प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं। मगर इन विरोध प्रदर्शनों का मोदी सरकार पर कोई असर होता हुआ फिलहाल नजर नहीं आ रहा है।
जीत की खुशी में भाजपा सरकार के द्वारा 11 दिनों में 8 रूपये तक तेल की कीमतों में इजाफा कर देश को महंगाई का तोहफा दिया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जो मूडीज की रिपोर्ट है उसमें तेल कंपनी आईओसी एचपीसीएल और बीपीसीएल ने कच्चे तेल के बढ़े हुए रेटों के दौरान चुनावों के मद्देनजर तेल के दाम नहीं बढ़ाए थे। जिसके चलते इन कंपनियों को करीब 19000 करोड रुपए का नुक्सान हुआ बताया गया था। अब यदि क्रिसिल रिसर्च की रिपोर्ट का आकलन किया जाए तो इन कंपनियों को हुए नुक्सान की भरपाई के लिए पेट्रोल और डीजल के तेल की कीमतें करीब 20 रूपये तक बढ़ सकती हैं।