अर्की भाजपा में कोई नाराज नहीं, भारी मार्जिन से जीतेंगे रतनपाल- बलदेव
HNN/ नाहन
अर्की विधानसभा के उपचुनाव में मान मनोबल का दौर अभी जारी है। कांग्रेस खेमे में बड़े दावेदार राजेंद्र ठाकुर अभी भी कोप भवन में है। जबकि भाजपा खेमे का नाराज गुट लगभग मानने की तैयारी में है। तो वही जयराम ठाकुर की टीम के तुर्रम खान रतनपाल की जीत के लिए छक्का पंजा लड़ा रहे हैं। खाद्य आपूर्ति विभाग के उपाध्यक्ष सिरमौर से ताल्लुक रखने वाले बलदेव तोमर जीत का बड़ा दावा भी कर रहे हैं। बलदेव तोमर का कहना है कि भाजपा का कार्यकर्ता भाजपा में ही आस्था रखता है। गोविंदराम शर्मा और उनकी पूरी टीम ने भाजपा के प्रति अपनी पूरी निष्ठा रखी है।
अर्की भाजपा में कहीं भी कोई गुटबाजी बिल्कुल नहीं है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के स्वागत में नाराज गुट की गैर मौजूदगी को लेकर पूछे गए सवाल में बलदेव तोमर ने कहा कि आयोजित की गई जनसभा में ढाई 3000 के लगभग लोग पहुंचे थे। जबकि वही कांग्रेस का दावा है कि अनुराग के स्वागत में भाजपा का भी गुट पूरी तरह से नदारद रहा। कांग्रेस का यह भी दावा है कि एक केंद्रीय मंत्री के स्वागत में केवल 300-400 लोग ही जुट पाए थे। उसमें भी कांग्रेस का दावा है कि इनमें अधिकतर लोग सिरमौर और सोलन से बुलाए गए थे।
गौरतलब, रतन पाल तेजी से मजबूती भी पकड़ रहे हैं। जानकारी तो यह भी है कि 11 अक्टूबर को मुख्यमंत्री, 12 अक्टूबर को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप, 18 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर अर्की में पहुंच सकते हैं। हालांकि अभी टूर प्रोग्राम सुनिश्चित नहीं हुए हैं मगर इन तारीखों पर उनका प्रोग्राम अर्की में रतनपाल को मजबूत करने के लिए बन सकता है। अब यदि गोविंदराम शर्मा का नाराज धड़ा तमाम नाराजगियों को छोड़कर प्रचार-प्रसार के लिए मैदान में उतरता है तो रतनपाल पहले से बहुत मजबूत स्थिति में आ जाएंगे।
सूत्रों की माने तो इनमें कई ऐसे कार्यकर्ता हैं जो अच्छा खासा वोट बैंक भी रखते हैं और भाजपा से बाहर भी नहीं है वह मतदान के दौरान नोटा में भी जा सकते हैं। देखना यह होगा कि अर्की में अनुराग ठाकुर की रणनीति कारगर होगी या जयराम ठाकुर का विकास। सुरेश कश्यप की रणनीति में क्या होंगे बदलाव और कितने कारगर होंगे इनके टूर यह तो वक्त ही बताएगा। मगर इतना तो तय है कि कांग्रेस में राजेंद्र ठाकुर गुट संजय अवस्थी के फेवर में जाता नजर नहीं आ रहा है।
हालांकि कांग्रेस की ओर से संजय अवस्थी और भाजपा की ओर से रतनपाल का अपना निजी वोट बैंक काफी ज्यादा स्ट्रांग है। ऐसे में राजेंद्र ठाकुर अगर 2022 की वचनबद्धता पर अवस्थी को फेवर कर देते हैं तो फिर कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर हो जाएगी। जिसमें बागियों का रोल महत्वपूर्ण हो जाएगा।
बरहाल, अर्की विधानसभा के उपचुनाव में जनता व कार्यकर्ता बाहरी नेताओं से ज्यादा अपने ही क्षेत्र के नेताओं के साथ ज्यादा कंफर्ट फील कर रहे हैं। स्थानीय जोड़ जुगत पर ही अर्की विधानसभा चुनाव हार जीत का डिसाइडिंग फैक्टर होगा।